Nitish Cabinet Meeting:बिहार कैबिनेट बैठक आज, चुनावी रणभूमि से पहले नीतीश खेल सकते हैं बड़ा दांव , नौकरियों का जाल, मानदेय का मलहम और डोमिसाइल की ढाल

Nitish Cabinet Meeting: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज कैबिनेट की अहम बैठक में कई बड़े फैसले ले सकते हैं। संकेत उन्होंने 15 अगस्त के भाषण में ही दे दिए थे।

Bihar cabinet meeting
बिहार कैबिनेट बैठक आज- फोटो : social Media

Nitish Cabinet Meeting: बिहार की राजनीति इन दिनों एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। विधानसभा चुनावों में अब कुछ ही माह शेष हैं और इसी पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को कैबिनेट की जिस बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं, उसे भावी राजनीति का ‘गेम चेंजर’ माना जा रहा है। इस बैठक में कई ऐसे प्रस्तावों पर मुहर लग सकती है, जिनकी गूंज न केवल सरकारी गलियारों में बल्कि गांव-गांव, मोहल्लों और चौपालों तक सुनाई देगी।

मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर जो संकेत दिए थे, अब वे ठोस निर्णय के रूप में सामने आ सकते हैं। सबसे बड़ा फैसला शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE-4) में बिहार के मूल निवासियों को प्राथमिकता देने का है। डोमिसाइल नीति लागू होने के बाद राज्य के युवा ही आवेदन के पात्र होंगे। यह नीति एक ओर स्थानीय प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करेगी, तो दूसरी ओर चुनावी वर्ष में युवाओं के समर्थन को साधने का एक बड़ा कदम साबित होगी। सूत्रों के अनुसार 2025 में TRE-4 और 2026 में TRE-5 का आयोजन होगा, जबकि उससे पहले STET की परीक्षा आयोजित कर योग्य अभ्यर्थियों को मंच प्रदान किया जाएगा।

युवाओं को रोजगार का भरोसा दिलाने के साथ-साथ सरकार उन लाखों अनुबंधकर्मियों और योजना-आधारित कर्मचारियों को भी बड़ी राहत देने जा रही है, जिनकी वर्षों से मानदेय बढ़ाने की मांग अधूरी थी। कैबिनेट में इस मांग पर ऐतिहासिक फैसला लिया जा सकता है। यदि मानदेय वृद्धि का प्रस्ताव पारित होता है तो यह न केवल कर्मचारियों की थकी हुई उम्मीदों में नई जान फूँक देगा, बल्कि सरकार की जन-हितैषी छवि को भी सुदृढ़ करेगा।

नीतीश सरकार ने 2025 तक 12 लाख सरकारी नौकरियों और 34 लाख रोजगार अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा है। यह संकल्प जितना विशाल है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। परंतु यदि कैबिनेट भर्ती प्रक्रियाओं को तेज़ी देने पर सहमति देती है, तो यह घोषणा मात्र न रहकर एक ठोस कार्ययोजना का रूप ले सकती है।

ध्यान देने योग्य है कि इससे पहले की बैठक में भी नीतीश कैबिनेट ने कई महत्वपूर्ण निर्णयों को हरी झंडी दी थी। युवा आयोग का गठन, दिव्यांगजनों के लिए प्रोत्साहन राशि और महिलाओं के लिए 35% आरक्षण जैसे फैसले यह दर्शाते हैं कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में संतुलित रूप से काम कर रही है।

फिर भी राजनीति के इस दौर में हर कदम की व्याख्या चुनावी नज़रिये से होती है। विपक्ष जहां इन निर्णयों को ‘चुनावी सौगात’ कहकर जनता को लुभाने का प्रयास बताएगा, वहीं सत्ता पक्ष इसे अपने ‘सुशासन’ की स्वाभाविक परिणति बताएगा। जनता के लिए असली प्रश्न यह रहेगा कि क्या ये फैसले कागज़ पर ही सीमित रहेंगे या धरातल पर उतरकर उनकी जिंदगी बदलेंगे।

 कैबिनेट बैठक बिहार की राजनीति और नौकरशाही दोनों के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकती है। यह बैठक नीतीश कुमार के लिए मात्र सरकारी एजेंडे की औपचारिकता नहीं, बल्कि चुनावी रणभूमि में उतरने से पहले अपनी रणनीति का ऐलान है।