Parenting Tips: बच्चों को हर छोटी गलती पर डांटने की ज़रूरत नहीं, बस ट्राय करें ये खास तकनीक

बच्चों को हर छोटी-छोटी बात पर डांटना अब पुराना तरीका हो गया है। अगर आप चाहते हैं कि बच्चा खुद सोचे और सुधार करे, तो टाइम-आउट तकनीक आजमाएं। यह न तो हिंसक है और न ही डराने वाली।

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Parenting Tips : बच्चों को हर गलती पर डांटना या पीटना न सिर्फ उनके मानसिक विकास पर असर डालता है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और माता-पिता के साथ रिश्ते को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इससे बच्चा धीरे-धीरे आपसे दूर होने लगता है। इसके बजाय इसके लिए एक सकारात्मक और कारगर तरीका है, "टाइम आउट तकनीक"। तो आइए जानते हैं। यह कैसे काम करती है और इसके क्या फायदे हैं?



1. टाइम आउट तकनीक क्या है?

टाइम आउट का मतलब है बच्चे को कुछ देर के लिए शांत और सुरक्षित जगह पर भेजना, ताकि वह अपनी गलती के बारे में सोच सके और खुद को शांत कर सके।



2. टाइम आउट तकनीक कैसे अपनाएं?

इसके लिए पहले से नियम तय कर लें। बच्चे को पहले से ही इसके बारे में बता दें कि कौन-सा व्यवहार गलत है और ऐसे व्यवहार के लिए टाइम आउट दिया जाएगा। ताकि बच्चे को यह बात पहले से ही समझ में आ जाए।



3. उम्र के हिसाब से तय करें समय

टाइम आउट का समय बच्चे की उम्र के हिसाब से होना चाहिए। आमतौर पर, जितनी उम्र, उतने ही ज़्यादा मिनट। (उदाहरण: 5 साल का बच्चा = 5 मिनट का टाइम आउट)



4. शांत और सुरक्षित जगह चुनें

ऐसा कोना जहाँ बच्चे के लिए कोई ध्यान भटकाने वाली चीज़ न हो, जैसे टीवी या खिलौने। ताकि बच्चा आसानी से शांत रह सके और चीज़ों के बारे में सोच सके।



5. बिना गुस्से के समझाएँ

टाइम आउट देने से पहले शांत आवाज़ में बताएँ कि ऐसा क्यों किया जा रहा है, कहाँ गलती हुई। ताकि बच्चा जाकर सोचे। जैसे- "तुमने अपने भाई को मारा, इसलिए अब 4 मिनट का टाइम आउट है।"



6. टाइम आउट खत्म होने के बाद बात करें

टाइम आउट खत्म होने पर बच्चे से प्यार से बात करें, उसने क्या गलती की और अगली बार कैसे सुधार कर सकता है। ताकि बच्चा भविष्य में कोशिश करे।



7. लगातार रहें

नियमों का लगातार पालन करें। ऐसा नहीं है कि कभी आपने यह काम किया, कभी नहीं किया। ऐसे में बच्चे पर कोई असर नहीं होगा। जब भी कोई गलती हो, तो हमेशा ऐसा करें, ताकि बच्चे को यह समझ में आए कि हर बार गलत व्यवहार के वही परिणाम होंगे।



टाइम आउट के फायदे :

1. बच्चे खुद के लिए सोचते हैं और खुद पर नियंत्रण करना सीखते हैं।

2. गुस्से का जवाब गुस्से से नहीं दिया जा सकता।

3. मारपीट की जरूरत नहीं पड़ती

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