VIOLENCE IN football match -फुटबॉल मैच में रेफरी के फैसले को लेकर भड़की हिंसा, सौ से ज्यादा लोगों की हुई मौत

VIOLENCE IN football match -फुटबॉल मैच में रेफरी के फैसले को लेकर लोगों का गुस्सा में भड़क गया और मैदान में मारपीट शुरू हो गई। नतीजा यह हुआ हिंसा बढ़ती गई और 100 लोगों की जान चली गई।

VIOLENCE IN football match -फुटबॉल मैच में रेफरी के फैसले को लेकर भड़की हिंसा, सौ से ज्यादा लोगों की हुई मौत
मैच में 100 की मौत- फोटो : NEWS4NATION

N4N DESK – फुटबॉल मैच के दौरान हुई हिंसा में करीब सौ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। यह दिलदहलानेवाली घटना गिनी के दूसरे सबसे बड़े शहर जेरेकोर की है। जहां रविवार को लाबे और जेरेकोर फुटबॉल टीमों के बीच मैच चल रहा था। 

यह मैच गिनी सेना के आर्मी जनरल मामाडी डौम्बौया के सम्मान में हो रहा था। डोम्बौया ने साल 2021 में गिनी में तख्तापलट करके सत्ता पर कब्जा कर लिया था। इस दौरान मैच रेफरी ने एक विवादित फैसला सुनाया, जिससे दोनों टीमों में लड़ाई होने लगी। झगड़ा होता को देख दर्शक भी मैदान में घुस गए और हिंसा शुरू कर दी।

रिपोर्ट के मुताबिक लोगों ने एन'जेरेकोर के एक पुलिस स्टेशन में भी तोड़फोड़ की और आग लगा दी। स्थानीय अस्पताल के एक डॉक्टर ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए कहा- ‘अस्पताल में जहां तक नजर जाती है, शव कतारों में पड़े हैं। बाकी लोग गलियारे में फर्श पर पड़े हैं। मुर्दाघर भरा हुआ है।‘   सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में मैच के बाहर सड़क पर अराजकता का दृश्य और जमीन पर बड़ी संख्या में शव पड़े हुए दिखाई दे रहे हैं।

दो साल पहले इंडोनेशिया में मैच के दौरान 174 ने गंवाई थी जान

इस हादसे ने दो साल पहले हुई घटना की याद दिला दी, जब ऐसे ही मैच के दौरान हिंसा में 174 लोगों की मौत हो गई थी। साल 2022 में एक फुटबॉल मैच के दौरान भगदड़ मचने से 174 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे में 2 पुलिसकर्मियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी। मैच के दौरान एक टीम के हारने के बाद उसके फैंस मैदान में घुस गए थे। इस भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े थे।

मैच अरेमा फुटबॉल क्लब और पर्सेबाया सुरबाया के बीच था। मैच के दौरान करीब 42 हजार दर्शक स्टेडियम में मौजूद थे। ये सभी दर्शक अरेमा फुटबॉल क्लब के फैंस थे। आयोजकों ने पर्सेबाया सुरबाया के फैंस के आने पर रोक लगाई थी, क्योंकि वे किसी भी तरह के उपद्रव से बचना चाहते थे।

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