डेढ़ दशक तक नौकरी करने के बाद फिर से नियुक्ति का फैसला गलत, राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ पटना के सड़क पर उतरी शिक्षकों की भीड़

PATNA : सरकार ने नई शिक्षक नियमावली के तहत की जाएगी जिसे कैबिनेट ने मंजूरी भी दे दी है और अब सरकार ने वेतनमान भी तय कर दिया है। लेकिन बिहार में नियोजित शिक्षक संघ इसका विरोध कर रहे हैं उनका कहना है कि इस नियामवली में कई खाामियां हैं. इसी के विरोध में आज 1 मई को मजदूर दिवस पर नियोजित शिक्षक पटना की सड़कों पर उतर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान शिक्षकों ने बताया कि आज वह जिले के डीएम को ज्ञापन सौंपकर नई नियमावली को रद्द करने की मांग करेंगे।
शिक्षकों का कहना है कि राज्य कर्मचारी बनाने के लिए दोबारा परीक्षा कराने की क्या जरूरत है. नियोजित शिक्षकों ने नए शिक्षा नियमों का पुरजोर विरोध किया है. नियोजित शिक्षकों का कहना है कि अब वे किसी विधायक या राजनेता के नेतृत्व में अपनी लड़ाई नहीं लड़ेंगे, बल्कि अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे और सरकार को अल्टीमेटम देंगे कि उन्हें जल्द राज्य कार्यकर्ता का दर्जा दिया जाए, नहीं तो आने वाले दिनों में इस तरह की लड़ाई लड़ी जाएगी. स्कूलों में पठन-पाठन बंद करने पर वो लोग मजबूर हो जाएंगे
डीएम ऑफिस जा रहे हजारों शिक्षकों ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, साथ ही बीपीएससी से परीक्षा कराने के फैसले को वापस लेने की मांग की। विरोध कर रहे शिक्षकों ने कहा कि सरकार की नियत साफ नहीं है। डेढ़ दशक तक शिक्षक की नौकरी करने के बाद हमें फिर से परीक्षा देकर नए शिक्षक के रूप में नियुक्त करना चाहते हैं। यह कहीं से तर्कसंगत नहीं है।
तेजस्वी पर लगाया आरोप
विरोध कर रहे शिक्षकों की नाराजगी सिर्फ नीतीश कुमार के प्रति ही नहीं थी। उनकी नाराजगी बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को लेकर भी थी। शिक्षकों ने बताया ने सत्ता में आने से पहले तेजस्वी यह कहते थे कि वह सत्ता में आएंगे तो सभी को राज्यकर्मी का दर्जा देने के साथ वेतनमान भी दिया जाएगा। लेकिन जैसे ही वह नीतीश कुमार से मिले, उनका इरादा बदल गया। अब दोनों चाचा-भतीजे साथ में हम शिक्षकों के रणनीति बनाकर नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं।