HC Court Decision महिला-पुरुष के बीच लंबे समय तक चले रिलेशनशिप रेप नहीं,हाईकोर्ट का अवैध संबंधों पर बड़ा फैसला
HIGHCOURT DECISION: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि बालिग जोड़े के बीच लंबे समय तक सहमति से चले संबंध को रेप नहीं माना जा सकता। जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में यह फैसला दिया गया, जिसमें 12 साल से अधिक समय तक चले सहमति वाले रिश्ते को शादी के वादे के उल्लंघन के आधार पर रेप नहीं ठहराया गया। साथ ही, कोर्ट ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्यवाही को भी रद्द कर दिया।
क्या था मामला?
मुरादाबाद की एक महिला ने एक व्यक्ति पर आरोप लगाया था कि उसके बीमार पति के दौरान उस व्यक्ति ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और उसके पति की मृत्यु के बाद शादी करने का वादा किया। लेकिन 2017 में उस व्यक्ति ने किसी दूसरी महिला से सगाई कर ली। इसके बाद महिला ने 2018 में आरोप लगाया कि व्यक्ति ने बंदूक की नोक पर उसके साथ जबरन रेप किया, आपत्तिजनक वीडियो बनाए, और 50 लाख रुपये की मांग की। महिला ने कहा कि अगर उसकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वीडियो को वायरल कर दिया जाएगा।
आरोपी व्यक्ति का पक्ष
आरोपी व्यक्ति ने कोर्ट में अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज किया और कहा कि यह रिश्ता पूरी तरह सहमति से था और करीब 12-13 साल तक चला। आरोपी ने आरोप लगाया कि महिला ने यह मामला एक करोड़ रुपये के वित्तीय विवाद से बचने के लिए उठाया है। इसी आधार पर आरोपी ने कोर्ट से केस को रद्द करने की मांग की।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इतने लंबे समय तक सहमति से चले रिश्ते को रेप नहीं माना जा सकता, और केवल शादी के वादे के उल्लंघन को आधार बनाकर इसे रेप नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए महिला के दावे को खारिज कर दिया। यह फैसला सहमति से चले संबंधों और कानून के दुरुपयोग के मामलों में एक अहम मिसाल बन सकता है।