Bihar Land Survey: भूमि सर्वे से पहले ही जमीन से संबंधित 14 % केस कम हो गए, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री का अजब-गजब दावा जरा जान लीजिए....
PATNA: बिहार सरकार ने आधी-अधूरी तैयारी के साथ भूमि सर्वेक्षण( Bihar land survey) का काम शुरू किया है. जमीन सर्वे कराने में न सिर्फ रैयतों को बल्कि सर्वे कर्मियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सर्वे कर्मी और अंचल कार्यालय के कर्मचारी जमीन मालिकों की मदद नहीं कर पा रहे. जमीन से संबंधित कागजात निकालने में भू स्वामियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि विवाद बढ़ते देख सरकार ने किसानों को जमीन के दस्तावेज तैयार करने के लिए तीन महीने का समय दिया है. इधर, बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री कह रहे कि जमीन का सर्वे कैसे कराया जाता है, सरकार में बैठे लोग जानते हैं. उन्होंने तो यह भी दावा कर दिया कि उनके मंत्री बनने के बाद जमीन संबंधी विवाद में भारी कमी आई है.
मेरे मंत्री बनते ही जमीनी विवाद में आई कमी
बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल ने एक बार फिर से जमीन सर्वे को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है. उन्होंने कहा कि नामुमकिन को मुमकिन कर दे यही तो नीतीश सरकार है. सरकार में बैठे लोगों को पता है की सर्वे कैसे कराया जाता है. चुनौती को स्वीकार करना और उसे अवसर में बदलना ही पुरुषार्थ कहलाता है. इसी पुरुषार्थ के मिशन को लेकर सर्वे कार्य को आगे बढ़ाया है. अब निकम्मे लोग अपना दिमाग लगा रहे हैं. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल कहते हैं कि मेरे मंत्री बनने के बाद जमीन संबंधी केसों में कमी आई है. पुलिस का रिकॉर्ड है. होम डिपार्टमेंट का रिकॉर्ड रिलीज हुआ है. 4- 5 महीनों में जब से मैं मंत्री हूं, जमीन विवाद से संबंधित 14 फीसदी अपराध कम हुए हैं. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि सरकारी आंकड़ा बोल रहा है. देश भर में जो अपराध का रिकॉर्ड तैयार होता है, उसमें यह कहा गया है कि पहले बिहार में 60 फ़ीसदी केस जमीन संबंधी विवाद को लेकर होते थे. अभी 3 महीने में सिर्फ 46% मामला जमीन से संबंधित आया है.
सूबे के अंचलाधिकारियों की मीटिंग के बाद मंत्री ने कहा कि सीओ को कार्यप्रणाली में सुधार की नसीहत दी जा रही है. सीओ को नैतिकता, सदाचार और अच्छे आचरण का पाठ पढ़ाया गया. मंत्री दिलीप जायसवाल ने अंचलाधिकारियों से कहा कि आप न्याय की कुर्सी पर बैठे हैं. आपके किसी निर्णय से किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. इस सिद्धांत को आप अपनी जिंदगी का मकसद बना लें। जिस इंसान या अधिकारी के पास नैतिक बल नहीं है, वह कितनी उंची कुर्सी पर चला जाए उसके पद का कोई महत्व नहीं है.