Bihar news: पोल-खोल...पथ निर्माण के 'कार्यपालक अभियंता' ने बेचैनी में खास रिश्तेदार को भेजा था...सबूत भी छोड़ गए, ऑपरेशन ब्लैक-व्हाइट के इस खेल की हो सकती है जांच
PATNA: सुशासन राज में पथ निर्माण विभाग के एक कार्यपालक अभियंता की पोल-पट्टी खुल गई. न्यूज4नेशन ने यह बताया था कि कैसे ब्लैक को व्हाइट मनी में कंवर्ट किया जा रहा. सरकारी रेवेन्यू में भी कहीं न कहीं खेल किया जा रहा. न्यूज4नेशन लगातार ऐसे सरकारी सेवकों द्वारा छुपाये गए तथ्यों को सार्वजनिक करते रहा है. पथ निर्माण विभाग के इस कार्यपालक अभियंता की संपत्ति खरीदते वक्त 7 सालों में महज 1.83 लाख सरकारी मूल्य बढ़ा. अगले साल बिक्री की बारी आई तो खरीदे गए सरकारी मूल्य से सीधा दो गुणा (25 लाख रू) बढ़ गया. इसके बाद व्हाइट में परिणत हुई उक्त राशि से महज 200 रू कम में कार्यपालक अभियंता ने पत्नी के नाम पर दूसरा फ्लैट खरीद लिया. मामले के खुलासे के बाद निबंधन विभाग इसकी जांच करेगा.अगर क्रय करने के समय सरकारी मूल्य कम दर्शा कर रजिस्ट्री कराई गई होगी या बिक्री के वक्त का जो सर्किल रेट होगा, जांच में सबकुछ क्लियर हो जायेगा.
जांच हो तो पानी की तरह हो जायेगा साफ
वैसे, पथ निर्माण विभाग के उक्त कार्यपालक अभियंता की जब पोल खुली तो वे अचंभित हो गए। इसके बाद उक्त कार्यपालक अभियंता पता लगाने में जुट गए कि आखिर हमारी संपत्ति की इंटरनल जानकारी न्यूज4नेशन के पास कैसे पहुंत गई ? किसने ऐसा खेल किया ? न्यूज4नेशन ने जब खबर ब्रेक किया, उसके अगले दिन से ही कार्यपालक अभियंता यह पता लगाने में जुटे रहे. आखिर किसने यह बात मीडिया तक पहुंचाई। हालांकि खबर में किसी भी शख्स के नाम का उल्लेख नहीं था, न ही पदधारक की जगह का वर्णन था. फिर भी उन्हें इसका अहसास हो गया कि इस खबर के दायरे में वे भी आ रहे हैं. लिहाजा आरसीडी के उक्त कार्यपालक अभियंता ने अपने प्रतिनिधि को न्यूज4नेशन के दफ्तर भेज दिया. बताया जाता है कि कार्यपालक अभियंता ने अपने बेहद करीबी को दफ्तर भेजा था. प्रतिनिधि आए और यह बताने को कहा कि, आपके पास यह खबर किसने भेजी, किसी ठेकेदार ने दिया या कोई दूसरा ? अगर आप बता देंगे तो आगे हमलोग सतर्क हो जाएंगे,ताकि कोई लफड़ा में न फंसे. क्यों कि इतनी जानकारी वही दे सकता है जो इंजीनियर साहब के अगल-बगल में रहता हो. आज हम वो तस्वीर भी साझा कर रहे हैं, जब कार्यपालक अभियंता ने अपने बेहद खास को किसी भी तरीके से पता लगाने के लिए भेजा था. हालांकि एक जिम्मेदार मीडिया हाऊस होने की वजह से यहां दोनों की गोपनीयता बरकरार रख रहे हैं.
7 सालों में 1.83 लाख बढ़ा और अगले साल बिक्री की बारी आई तो 25 लाख बढ़ गया वैल्यू ?
पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता किस तरह की चालाकी बरत रहे. आपको समझ में आ जायेगा. 'कुमार' साहब नाम वाले कार्यपालक अभियंता ने पत्नी के नाम पर 2015 में एक फ्लैट का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया. अगस्त 2015 में दानापुर रजिस्ट्री कार्यालय से यह एग्रीमेंट कराया गया. तब उक्त फ्लैट का सरकारी मूल्य 23 लाख रू बताया गया था. बजाप्ता उक्त रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में संपत्ति के सरकारी वैल्यू का उल्लेख है. यहां तक तो सब कुछ ठीक है. साल बीतते गया..और वर्ष 2022 आ गया. इसके बाद इन्होंने पत्नी के नाम किए गए फ्लैट एग्रीमेंट का निबंधन कराया. निबंधन के समय इन्होंने उक्त फ्लैट का वैल्यू लगभग 24,84000 रू बताया. यह भी डीड में उल्लेख है. यानि सात सालों बाद जब इन्होंने उक्त प्रॉपर्टी का निबंधन कराया, तब बढ़ा हुआ सरकारी वैल्यू (2015 में 23 लाख, 2022 में 2484000) 1,84000 रू उल्लेखित किया. यानि सात सालों में उक्त संपत्ति का मूल्य सिर्फ 1 लाख 84 हजार ही बढ़ा. चलिए आपके हिसाब से यह भी सही है. क्रय करने के समय सरकारी मूल्य कम बढ़ रहा था....साल भर बाद ही जब बिक्री की बारी आई तो संपत्ति का सरकारी मूल्य 200 गुणा बढ़ गया....यह कैसे हो सकता है ? सरकारी वैल्यू साल भऱ में 200 गुणा बढ़ता नहीं है. कार्यपालक अभियंता के इस हिसाब-किताब से निबंधन विभाग के अधिकारी भी हैरान हैं.
काले धन को सफेद बनाने में जुटे इंजीनियर साहब
पथ निर्माण विभाग में एक कार्यपालक अभियंता हैं. वर्तमान में अभी राजधानी में T.A.( तकनीकी सलाहकार) के पद पर पदस्थापित हैं. कुछ समय पहले तक ये राजधानी से बाहर'दक्षिण बिहार' के एक पथ प्रमंडल में बतौर कार्यपालक अभियंता के पद पर पदस्थापित थे. अभी ये अपने से एक रैंक ऊपर वाले अधिकारी(S.E.) के कार्यालय में तकनीकी एडवाइजर के पद पर पदस्थापित हैं. वैसे इस कार्यपालक अभियंता ने सरकार की नजरों से बचने को लेकर पूरा बंदोबस्त कर रखा है. इनकी रणनीति है कि आंखों में धूल झोककर किसी तरह से बच जाना. हालांकि गड़बड़ी करने वाला कुछ न कुछ सबूत छोड़ जाता है. 'कुमार' नाम वाले कार्यपालक अभियंता ने 2022 में ऑपरेशन 'सफेद धन' लॉन्च किया. अपनी पत्नी के नाम पर फरवरी 2022 में दानापुर के मुस्तफापुर इलाके में फ्लैट खरीदा. सरकारी रेट दिखाया... 2484000 रू. रजिस्ट्री में एरिया मिला 0.9395 स्कॉयर फीट. यहां तक को सबकुछ ठीक था. इसके बाद से असली खेल शुरू हुआ। अगले ही साल यानी 2023 में कार्यपालक अभियंता कुमार साहब ने उक्त फ्लैट को 50 लाख में बेच दिया. अपनी संपत्ति बेचना कोई अपराध नहीं. लेकिन यहां सबसे बड़ा आश्चर्य यह कि इन्होंने खऱीद किए सरकारी रेट से दो गुणा अधिक सरकारी दाम पर अपना फ्लैट बेचा. जबकि सरकार हर साल जमीन/फ्लैट के रेट में वृद्धि नहीं करती है. एक साल में ही कार्यपालक अभियंता के फ्लैट का सरकारी मूल्य दो गुणा हो गया .यह बात किसी के गले के नीचे से नहीं उतर रही. सवाल यहीं से उठ रहा है...क्या इन्होंने खरीदते समय कम कीमत दिखाकर सरकार को चूना लगाया, या फिर अधिक मूल्य में बिक्री दिखाकर सफेद धन दिखाने की कोशिश की ?
25 लाख का फ्लैट अगले साल 50 लाख सरकारी मूल्य पर बेच दिया
अब जरा KUMAR नाम वाले कार्यपालक अभियंता के 2023 वाली पूरी खबर पर आइए। कुमार साहब ने पत्नी के नाम पर 2022 में दानापुर के मुस्तफापुर इलाके में फ्लैट खरीदा था, उसे मई 2023 में एक पति-पत्नी के नाम पर रजिस्ट्री कर दी. कार्यपालक अभियंता ने 2022 में पत्नी के नाम पर 2484000 रू सरकारी मूल्य पर फ्लैट खरीदा था, उसे वह अगले साल सीधे दो गुणा से भी ज्यादा यानि 50 लाख रू में बेचा. यानी सरकारी वैल्यू से सीधे 200 फीसदी अधिक में. किसी संपत्ति का मार्केट मूल्य भी एक साल में दो गुणा बड़ी मुश्किल से होता है. यहां तो कार्यपालक अभियंता के फ्लैट का सरकारी मूल्य ही साल भर में ही दो गुणा हो गया. बिक्री करने के कुछ माह बाद ही कुमार साहब नाम वाले कार्यपालक अभियंता ( T.A.) ने पत्नी के नाम पर दूसरा नया फ्लैट खरीद लिया.
जितना सफेद धन बनाया..उससे 200 रू कम में दूसरा फ्लैट खरीद लिया
जरा ध्यान से पढ़िए.... इंजीनियर 'कुमार' ने 2023 मई में जितना सफेद धन बनाया उससे सिर्फ 200 रू कम (4999800) में दानापुर के गोला रोड में फिर से नया फ्लैट खरीदा. पत्नी के नाम पर दिसंबर 2023 में गोला रोड के एक नामी स्कूल के समीप सैनिक कॉलोनी इलाके में रियल इस्सेट कंपनी से फ्लैट की रजिस्ट्री कराई। सरकारी रेट दिखाया गया 4999800 रू. यानि जितना में फ्लैट की बिक्री की उससे सिर्फ 200 रू कम. फ्लैट के साथ 1.15 डिसमिल जमीन का निबंधन हुआ। मतलब साफ है...कार्यपालक अभियंता जो वर्तमान में RCDमें तकनीकी सलाहकार के पद पर हैं, उन्होंने बचने की पूरी कोशिश है. अगर खुलासा भी हो तो यह बता सकें कि जितने की संपत्ति हमने बेची है, उससे 200 रू कम में हीं हमने दूसरी संपत्ति रजिस्ट्री कराई है. लिहाजा उनके संपत्ति अर्जन पर सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता. हालांकि यहां वे गच्चा खा गए..आखिर एक साल में ही एक फ्लैट का सरकारी मूल्य दो गुणा कैसे हो सकता है ? इसका जवाब तो पथ निर्माण विभाग के चालाक कार्यपालक अभियंता ही दे सकते हैं. वैसे यह खबर जांच एजेंसी तक भी पहुंच गई है. कार्यपालक अभियंता के इस पूरे खेल का कागजात न्यूज4नेशन के पास है.