इंटर परीक्षा में पास होने पर दो किशोरों के अपराध का केस क्लोज, खुशी से उछले पड़े बच्चे

Biharsharif : बिहार इंटरमीडियट का रिजल्ट में प्रथम श्रेणी से पास होने पर बिहारशरीफ जिले के किशोर न्याय परिषद (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड) ने दो किशोरों को चोरी और मारपीट के आरोपों से दोषमुक्त कर दिया। साथ ही उन पर चल रहे केस को बंद करने के निर्देश दिया। उक्त फैसला बिहारशरीफ जिले के किशोर न्याय परिषद (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड) प्रधान न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्न ने दिया। इंटर परीक्षा में फर्स्‍ट डिजीवन (प्रथम श्रेणी) से उत्तीर्ण होने और सजा माफ होने से होली के मौके पर दोनों किशोरों की खुशी दोहरी हो गई। विदित हो कि जज मानवेन्द्र मिश्र इसके पहले भी ऐसे कई ऐतिहासिक फैसले दे चुके हैं।

मामले में बताया गया कि एक किशोर पर मारपीट और दूसरे पर मोटरसाइकिल चोरी के आरोप में केस दर्ज था। कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। दोनों को अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा था। बिहार बोर्ड का परीक्षा परिणाम जानने के बाद शनिवार को दोनों इंटर का अंक पत्र लेकर किशोर न्याय परिषद पहुंचे और जज मानवेन्द्र मिश्र के सामने उपस्थित हुए,  जहां उन्होंने दूसरे राज्य में जाकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने की बात कही। दोनों युवकों ने कहा कि केस दर्ज रहा तो भविष्य में काफी मुश्किल होगी। किशोरों ने यह भी तर्क दिया कि आज से दो साल पहले उनकी उम्र 15 साल थी। अज्ञानता में भूलवश घटना हो गई। इसके अलावा उनके खिलाफ कहीं भी और कोई मामला दर्ज नहीं है। जिसके बाद इंटर परीक्षा में दोनों किशोरों की मेधा और आगे इंजीनियर बनने की ललक देख किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायाधीश ने दोनों को दोषमुक्त करार दिया और केस का अनुसंधान रोकने का निर्देश जारी कर दिया।

दोस्त ने खरीदी चोरी की बाइक, उस पर बैठने के कारण बना आरोपी

यहां जिस किशोर पर बाइक चोरी का आरोप लगा है। उसके बारे में बताया गया कि वर्ष 2019 के एक दिन वह अपने एक दोस्त के साथ उसकी बाइक पर पीछे बैठ गया। वाहन जांच में पता चला कि बाइक चोरी की है। साथ रहने के कारण किशोर भी बाइक चोरी का आरोपी बना दिया गया। 

बिहारशरीफ से लगातार हो रहे फैसले

पिछले डेढ़ माह में बिहार किशोर न्याय परिषद अपने फैसलों के लिए चर्चा में रहा है। कभी वह नाबालिक बच्चों की शादी करवाने के आदेश देते हैं, कभी सिपाही भर्ती में पास होने पर आरोपी के केस बंद करने के निर्देश देते हैं। बहरहाल, किशोर न्याय परिषद ने यह साबित किया है कि अपराध की सजा सिर्फ देना या सजा देना नहीं, कभी-कभी उन्हें सुधरने और माफी भी दी जा सकती है।