बीजेपी यानी भ्रष्ट जनता पार्टी छीन रही आदिवासियों का हक- अधिकार, कांग्रेस ने पीएम मोदी पर लगाए सबसे गंभीर आरोप

बीजेपी यानी भ्रष्ट जनता पार्टी छीन रही आदिवासियों का हक- अधिकार, कांग्रेस ने पीएम मोदी पर लगाए सबसे गंभीर आरोप

DESK. कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि मोदी सरकार ने आदिवासी अधिकारों को कमजोर किया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने झारखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से पहले उनसे सवाल पूछे हैं. साथ ही वन संरक्षण संशोधन अधिनियम ने 2006 के ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम की प्रगति को ''अस्थिर'' भाजपा पर आरोप लगाया है. 

जयराम रमेश ने पीएम मोदी की जमशेदपुर रैली के पहले पूछा आज जमशेदपुर जा रहे प्रधानमंत्री से हमारे सवाल:  जमशेदपुर के लोग अभी भी ख़राब कनेक्टिविटी की समस्या से क्यों जूझ रहे हैं? ऐसा क्यों है कि 2A और उनके टैंपो से भरे काले धन खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन झारखंड के आदिवासी मुख्यमंत्री को जेल में डाल दिया गया? आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र को अब तक पर्यावरण मंजूरी क्यों नहीं मिली? पीएम ने आदिवासियों को उनकी धार्मिक पहचान से वंचित क्यों किया और सरना कोड को मान्यता देने से इंकार क्यों किया?

उन्होंने पीएम मोदी पर जुमलों का विवरण करने का आरोप लगते हुए कहा कि एक औद्योगिक केंद्र होने के बावजूद जमशेदपुर ख़राब परिवहन कनेक्टिविटी की समस्या से जूझ रहा है। भागलपुर, बेंगलुरु और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों के लिए चलने वाली ट्रेनों की संख्या पर्याप्त नहीं है। शहर में 2016 तक एक फंक्शनल हवाई अड्डा था लेकिन 2018 में UDAN योजना में शामिल होने के बावजूद, नए हवाई अड्डे की योजना साकार नहीं हुई। दिसंबर 2022 तक धालभूमगढ़ हवाई अड्डे के निर्माण के लिए जनवरी 2019 में झारखंड सरकार और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इससे औद्योगिक क्षेत्र के टाटा जैसे प्रमुख प्लेयर्स समेत आदित्यपुर में एमएसएमई को अच्छा बढ़ावा मिलेगा। 

रमेश ने कहा, जब दिसंबर 2022 की तय समय सीमा में काम नहीं हुआ तो भाजपा के अपने सांसद इस मुद्दे को संसद में उठाने के लिए मजबूर हुए। 27 फरवरी, 2023 को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने जवाब दिया और पुष्टि की कि परियोजना को छोड़ दिया गया था। अब काफी मशक्कत के बाद पर्यावरण संबंधी इजाज़त मिलती दिख रही है। मोदी सरकार ने झारखंड में इतने ज़रूरी बुनियादी ढांचे की अनदेखी क्यों की? "सबका साथ सबका विकास" का क्या हुआ?

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि निवर्तमान प्रधानमंत्री के दो सबसे अच्छे मित्र काले धन से भरे टेंपो रखने के बावजूद ईडी और सीबीआई से बचे हुए हैं - लेकिन झारखंड के आदिवासी मुख्यमंत्री को जेल में डाल दिया गया। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कैसे भ्रष्ट जनता पार्टी ने आदिवासी पहचान और आदिवासी अधिकारों को कमज़ोर करने की कोशिश की है। पिछले साल, मोदी सरकार ने वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पारित किया, जिसने 2006 के ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम के तहत हुई तमाम प्रगति को रोक दिया और विशाल क्षेत्रों में वन मंजूरी के लिए स्थानीय समुदायों की सहमति एवं अन्य वैधानिक आवश्यकताओं के प्रावधानों को ख़त्म कर दिया। इसके पीछे का, इरादा बिना किसी शक के जंगलों तक प्रधानमंत्री के पसंदीदा मित्रों की पहुंच सुनिश्चित करने का है। क्या प्रधानमंत्री कभी जल-जंगल-जमीन के नारे पर दिखावा करना बंद करेंगे और आदिवासी कल्याण के लिए सही मायने में प्रतिबद्ध होंगे? क्या वह इस पर कुछ कुछ बोलेंगे कि ईडी और सीबीआई ने अभी तक उनके सबसे अच्छे मित्रों के टेम्पो की जांच क्यों नहीं की है?

रमेश ने कहा कि  जमशेदपुर के महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र - आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र का आधे से अधिक हिस्सा 2015 से नियामक दायरे में है। इस विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में 1,200 इकाइयां हैं। इनमें 11 बड़ी, 64 छोटी और 166 अन्य इकाइयां शामिल हैं। 2015 में, झारखंड राज्य उद्योग विभाग ने आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में 276 एकड़ विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के भीतर 54 एकड़ वन भूमि के संबंध में क्लेरिफिकेशन दिया। लेकिन, मोदी सरकार ने वन और पर्यावरण मंजूरी देने में देरी करके इसके विकास में बाधा उत्पन्न की है। यह परियोजना तो लटकी हुई है लेकिन मोदी सरकार ने 2019 में गोड्डा में अडानी पावर के लिए 14,000 करोड़ रुपए की SEZ परियोजना को मंजूरी दी। ऐसा क्यों है कि आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र को लगभग 10 वर्षों तक इंतज़ार करना पड़ा, जबकि अडानी की परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ाया गया? क्या इस सौदे में काले धन से भरे टेंपो की भूमिका थी जिसके बारे में निवर्तमान प्रधानमंत्री ने हमें बताया था?

पीएम मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि झारखंड के आदिवासी समुदाय  वर्षों से सरना धर्म को मानते आ रहे हैं। वे भारत में अपनी विशिष्ट धार्मिक पहचान को आधिकारिक रूप से मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। लेकिन, जनगणना के धर्म कॉलम से "अन्य" विकल्प को हटाने के हालिया निर्णय ने सरना अनुयायियों के लिए दुविधा पैदा कर दिया है। उन्हें अब या तो ऑप्शंस में मौजूद धर्मों में से किसी एक को चुनना होगा या कॉलम को ख़ाली छोड़ना होगा। 2020 के नवंबर महीने में झारखंड विधानसभा ने विशिष्ट धार्मिक पहचान को मान्यता देने की इस मांग का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के 2021 तक सरना कोड लागू करने के आश्वासन और 2019 में गृह मंत्री अमित शाह के ऐसे ही वादे के बावजूद, मोदी सरकार में इस मामले में कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई है। आज जब प्रधानमंत्री मोदी झारखंड में हैं तो क्या वह इस मुद्दे को संबोधित करेंगे और स्पष्ट करेंगे कि सरना कोड लागू करने को लेकर उनका क्या स्टैंड है? क्या रघुबर दास और अमित शाह के वादे महज़ जुमले थे? 

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