मुजफ्फरपुर में कांड सुलझाने ने दूसरी बार फंस गयी सीबीआई, एक मामले में पाँच तो दूसरे में की दस लाख रुपए के इनाम की घोषणा

MUZAFFARPUR : बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के चर्चित खुशी अपहरण कांड में सीबीआई की हाथ खाली है।  जिसके बाद अब कई तरह की चर्चाएं मुजफ्फरपुर में शुरू हो गयी है। सीबीआई ने पोस्टर जारी करते हुई सटीक जानकारी देने वाले को पाँच लाख रुपये की पुरस्कार की घोषणा की है। इस घोषणा के साथ आमजन और पीड़ित परिवार के अरमानों पर एक बार फिर से पानी फिर गया है। सीबीआई की यह दूसरी केस मुजफ्फरपुर में है जब कोई सुराग हाथ नहीं लगी है और इनाम घोषित कर शहर में पोस्टर लगाया है। इससे पूर्व चर्चित नवरुणा हत्याकांड में भी सीबीआई की टीम को मुंह की खानी पड़ी और दस लाख रुपये इनाम की घोषणा कर केस में आमली जमा पहना दी थी। आमजन का कहना है कि देश की सर्वोच्च जाँच एजेंसी जब इस तरह खानापूर्ति करेगी तो फिर भरोसा किस पर किया जाए। लेकिन परिवार वाले ने अबतक अपनी उम्मीदे नही छोड़ी है। आज भी खुशी की माँ अपनी मासूम को आने की राह देख रही है। लेकिन सीबीआइ द्वारा जाँच पड़ताल के क्रम में ही यह घोषणा करना पीड़ित परिवार पर किसी सदमे से कम नहीं है।

सीबीआई मुजफ्फरपुर में दूसरी बार हुई फेल

मुजफ्फरपुर में सीबीआई की यह दूसरी विफलता है। इससे पहले देश भर में चर्चित नवरुणा अपहरण कांड को साधने में सीबीआई को सफलता नहीं मिली। कई सालों की जांच के बाद भी केंद्रीय एजेंसी न तो नवरूणा को खोज पाई और न उसके गुनाहगारों को। सातवीं की छात्रा नवरूणा चटर्जी को जमीनी विवाद में घर से 17 सितम्बर 2012 का रात को अगवा कर लिया गया था। इसमें कई बड़े सफेदपोशों पर नवरूणा के माता पिता ने आरोप लगाया था। करीब 08 साल की छानबीन के बाद सीबीआई इस कांड की गुत्थी नहीं सुलझा पाई तो 10 लाख ईनाम का इश्तेहार लगाकर अपनी नाकामी छुपाई थी।


खुशी फरवरी 2021 में हुई थी गायब

मुजफ्फरपुर जिले के ब्रह्मपुरा से 7 वर्षीय खुशी को 16 फरवरी 2021 को अज्ञात लोगों द्वारा अगवा कर लिया गया था। पटना हाईकोर्ट के आदेश पर दिसंबर 2022 में सीबीआई ने इस केस को टेकओवर किया था और 22 दिसंबर को खुशी के अपहरण का एफआईआर दर्ज किया। तब से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। खुशी को खोज निकालने में विफल सीबीआई ने उसका सुराग देने वाले को 05 लाख रुपये इनाम देने की घोषणा की है। मासूम बच्ची खुशी 2021 में तब गायब हो गई थी जब अपने घर के पास सरस्वती पूजा के पंडाल में परिजनों के साथ गई थी। इस मामले में मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा थाने में आईपीसी की धारा 363 के तहत कांड दर्ज किया गया था। लेकिन पूरा पुलिस उसका पता लगाने में नाकाम रही। परिवार वालों ने दो संदिग्ध का नाम भी पुलिस को बताया। इस मामले में मुजफ्फरपुर पुलिस द्वारा एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी ने दो संदिग्ध पॉलीग्राफ टेस्ट कराया। उसके बाद भी खुशी का पता नहीं लगा पाई।

हाईकोर्ट का सहारा 

अपने बच्चे की तलाश में मुजफ्फरपुर पुलिस की कार्यशैली से निराश खुशी के पिता रंजन शाह ने हाईकोर्ट का सहारा लिया। जस्टिस राजीव रंजन की बेंच के आदेश पर मामले में सीबीआई जांच शुरू हो गई। रंजन साह ने बताया कि ब्रह्मपुरा पुलिस ने इस मामले में सही तरीके से काम नहीं किया। न साक्ष्य का संकलन किया गया और न केस डायरी ठीक से लिखी गई। छानबीन के नाम पर केवल खानापूर्ति हुई और कागज पर ही छानबीन होकर रह गई। ब्रह्मपुरा पुलिस ने घटनास्थल का सीसीटीवी फुटेज भी जब्त नहीं किया। इसकी वजह से कोई वैज्ञानिक विश्लेषण कांड में नहीं किया जा सका। खुशी के अगवा होने के बाद पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई। आसपास के थानों में वालेस मैसेज तक नहीं किया गया। सीबीआई जांच के लिए दिए गए आदेश में कहा गया था कि ब्रह्मपुरा थाना में दर्ज कांड के अनुसंधानक 2 साल तक मामले को दबाए रखा। और एक दुर्भाग्य शाली पिता अपनी बच्ची को पाने के लिए यहां से वहां दौड़ता रहा। तत्कालीन अनुसंधानक ने अपने वरीय अधिकारियों के निर्देश का भी ठीक तरीके से पालन नहीं किया।

नहीं हाथ लगा सुराग

खुशी अपहरण कांड में हाईकोर्ट के आदेश से सीबीआई ने जांच तो शुरू किया लेकिन, 3 महीने की छानबीन में कुछ भी उसके हाथ नहीं लगा। अब सीबीआई ने सुराग देने वाले के लिए 5 लाख का इनाम की घोषणा कर दी। आपको बताते चलें कि राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित नवरुणा अपहरण कांड में भी सीबीआई क्लोजर रिपोर्ट लगा चुकी है। 24 नवंबर 2020 को कोर्ट में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दिया। इस मामले में सीबीआई कोई भी साक्ष्य इकट्ठा करने में नाकाम रही। नवरुणा गायब हो गई, उसकी हत्या हो गई लेकिन नवरुणा के गुनाहगार अभी भी कानून के शिकंजे से बाहर हैं। सीबीआई जैसी एजेंसी भी पकड़ने में नाकाम है।

मुजफ्फरपुर से मणिभूषण शर्मा की रिपोर्ट