भ्रष्ट तत्कालीन 'कुलपति' समेत 29 पर दाखिल हुआ चार्जशीट, SVU ने कोर्ट में 1000 पन्नों में जमा किया सबूत

PATNA : विशेष निगरानी इकाई, पटना ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद तत्कालीन कुलपति, मगध विश्वविद्यालय एवं अन्य चार प्रो॰ विनोद कुमार, प्रो॰ जयनंदन प्रसाद सिंह, पुष्पेन्द्र प्रसाद वर्मा तथा सुबोध कुमार के विरूद्ध कांड दर्ज किया था। उपरोक्त पदाधिकारियों पर यह आरोप था कि इन्होने अपने कार्य-काल के दौरान मगध विश्वविद्यालय, बोधगया एवं वीर कुंवर सिह विश्वविद्यालय, आरा में सरकार द्वारा विभिन्न मदों में स्वीकृत करोड़ों की राशि का अपराधिक षडयंत्र एवं भयादोहन द्वारा बंदरबांट किया था और उपरोक्त राशि जो कि करोड़ों में थी। उसका एक बड़ा हिस्सा डा॰ राजेन्द्र प्रसाद के आय से अधिक सम्पत्ति एकत्र करने का माध्यम बना। संभवत किसी भी राज्य में विश्वविद्यालय में पदस्थापित उच्च अधिकारियों द्वारा किया गया। घोटाला का यह पहला मामला उजागर हुआ हैं।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में जाँच में सहयोग नही करने और उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर मगध विश्वविद्यालय के चार अभियुक्त प्रो॰ विनोद कुमार, प्रो॰ जयनंदन प्रसाद सिंह, पुष्पेन्द्र प्रसाद वर्मा तथा श्री सुबोध कुमार को न्याययिक हिरासत में भेजा गया था और चार पदाधिकारियों के विरूद्ध आरोप पत्र दायर किया गया था। जिस पर न्यायालय द्वारा संज्ञान लिया गया और वर्तमान में न्यायालय गया में विचाराधीन है। आगे विशेष निगरानी इकाई ने अपने जाँच के क्रम को जारी रखते हुए मगध विश्वविद्यालय, बोधगया और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा में अनुसंधान की प्रक्रिया जारी रखी और अनुसंधान के क्रम यह पाया गया कि डा॰ राजेन्द्र प्रसाद कि विरूद्ध आय से अधिक सम्पत्ति का मामला बनता है और विशेष निगरानी इकाई द्वारा न्यायालय में समर्पित आरोप पत्र में यह भी दर्ज है कि डा॰ राजेन्द्र प्रसाद ने अपने मगध विश्वविद्यालय में कार्य काल के दौरान इतना रूपये का धनापार्जन किया जो उनके आय से दस गुणा अधिक था। विशेष निगरानी इकाई द्वारा न्यायालय में दोनो विश्वविद्यालय को मिलाकर 29 अभियुक्तों के विरूद्ध अरोप पत्र समर्पित किया गया है। जिसमें दोनो विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों के अलावा लखनऊ स्थित आपूर्ति कर्ताओं का भी नाम है, जिसमें
1 डा॰ राजेन्द्र प्रसाद (प्राथमिकि नामित) कुलपति, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा।
2 प्यारे मोहन सहाय वित्त पदाधिकारी, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
3 सिद्वनाथ प्रसाद यादव रजिस्ट्रार, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
4 ओम प्रकाश (प्राथमिकि नामित) वित्तीय सलाहकार, मगध विश्वविद्यालय, बोधगयाए
5 जितेन्द्र कुमार ((प्राथमिकि नामित) रजिस्ट्रार, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
6 कौलेश्वर प्रसाद साह वित्त पदाधिकारी, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
7 भिखारी राम यादव पुस्तकालय प्रभारी, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
8 नागेन्द्र सिंह अनुभाग अधिकारी, मगध विश्विद्यालय, बोधगया
9 धर्मेद्र प्रकाश त्रिपाठी वित्त पदाधिकारी, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
10 विनोद कुमार पुस्तकालय प्रभारी, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
11 पुष्पेन्द्र कुमार वर्मा रजिस्ट्रार, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
12 रूद्र नारायण शुक्ला लाइब्रेरियन, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
13 जयनंदन प्रसाद सिंह प्रॉक्टर मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
14 सुबोध कुमार सहायक-कुलपति, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
15 अजय मि़श्रा XLICT
16 संदीप दुबे XLICT
17 मनोज गुप्ता Poorva Graphics
18 सुनील अग्रवाल Poorva Graphics
19 जितेन्द्र प्रसाद न्यू पाटलिपुत्रा सुरक्षा सेवाओं का मालिक
20 अशोक कुमार पिता- राजेन्द्र प्रसाद
21 दिनेश कुमार दिनक प्रशाखा सहायक बजट, मगध विश्वविद्यालय,बोधगया
22 मनोज कुमार सिन्हा व्यवहार सहायक, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
23 सुशील यादव वित्त पदाधिकारी, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा
24 धीरेन्द्र कुमार सिंह रजिस्ट्रार, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा
25 अनवर इमाम परीक्षा नियंत्रक, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा
26 मनीष कुमार सिन्हा सहायक, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा
27 विजय कुमार सिंह प्रशाखा सहायक, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय,आरा
28 लतिका वर्मा परीक्षा नियंत्रक, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा
29 दिना नाथ सिंह सहायक, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा शामिल हैं
आज विशेष निगरानी इकाई ने एक हजार पन्नों का अभियोग पत्र संलग्न दस्तावेजों के साथ दाखिल किया है। इसके पश्चात कुलाधिपति महोदय से इन अभियुक्तों के विरूद्ध मुकदमा चलाने हेतु अभियोजन स्वीकृति आदेश प्राप्त करने की मांग की गयी है तथा न्यायालय द्वारा कानुनी प्रक्रिया प्रारम्भ करने का निवेदन किया गया है।
मगध विश्वविद्यालय, बोधगया तथा वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा में कुल राशि 18 करोड़ रूपया लगभग के गबन/राजस्व क्षति तत्कालीन कुलपति डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद तथा उनके मातहतो के द्वारा किया गया है। इन्हीं अवैध कार्यो के द्वारा कुलपति ने अकुत अवैध सम्पत्ति का अर्जन किया है। काण्ड अनुसंधान के दौरान डा॰ राजेन्द्र प्रसाद के पास कुल 2.66 करोड़ रूपया का Disproportionate Assets पाया गया है, जो उनके वैद्य आय से 500 प्रतिशत से भी ज्यादा है।चुँकि मुख्य अभियुक्त डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद न्यायिक हिरासत में है। अतः अभियोजन चलाने हेतु प्रस्ताव सक्षम प्राधिकार को प्रेषित किया गया है। काण्ड के अनुसंधान के दौरान विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारियों/कर्मियों के विरूद्ध अन्य अनियमितता का तथ्य सामने आये है, जिसके लिए अलग से विभागीय कार्यवाही हेतु प्रस्ताव सम्बन्धीत सक्षम प्राधिकार को भेजा जा रहा है।