पद्मश्री और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉ. उषा किरण खान ने पटना में ली अंतिम सांस, साहित्य जगत में शोक की लहर, सीएम नीतीश ने जताई संवेदना
PATNA : पद्मश्री से सम्मानित हिंदी और मैथिली साहित्य की मशहूर लेखिका डॉ उषा किरण खान का आज निधन हो गया।78 साल की उम्र में उन्होंने पटना के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। मिली जानकारी के मुताबिक वह पिछले कई दिनों से बीमार थीं। अप्रैल 2022 में उषा किरण खान के पति और पूर्व डीजीपी रामचन्द्र खान का भी निधन हो चुका है। उनके निधन की खबर से मिथिलांचल समेत पूरे बिहार में शोक की लहर है। उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के सर्वोच्च साहित्य सम्मान भारत-भारती से नवाजा गया था।
बता दें कि डॉ खान ने हिंदी के साथ-साथ मैथिली में भी दर्जनों उपन्यास व कहानियां लिखी थीं। इसके अलावा वह बाल साहित्य और नाटक लेखन के लिए भी जानी जाती थीं। मैथिली में लेखन के लिए डॉ खान को साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। उषा किरण खान का सम्बन्ध दरभंगा जिले से था। पटना कॉलेज में प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व विज्ञान की वह विभागाध्यक्ष रह चुकी थीं। उनकी अब तक पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें उपन्यास, कहानी, नाटक और बाल-साहित्य जैसी विविध विधाएँ शामिल हैं। भामती, सृजनहार, हसीना मंज़िल, घर से घर तक उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ० उषा किरण खान के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि स्व० डॉ० उषा किरण खान प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखिका थीं। उन्होंने हिन्दी एवं मैथिली साहित्य में कई उपन्यासों, कथाओं की रचना की थी। डॉ० उषा किरण खान को पद्मश्री तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
डॉ० उषा किरण खान के निधन से हिन्दी एवं मैथिली साहित्य जगत् को अपूरणीय क्षति हुयी है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शांति तथा उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।