नहीं पहुंचा सीएम नीतीश का हर घर नल-जल, जमुई में पहाड़ की तलहटी से गिरते पानी को पीने को मजबूर ग्रामीण

जमुई. एक ओर बिहार सरकार दावा कर रही है कि राज्य के हर गांव और हर घर तक पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा चुकी है. लेकिन, नल-जल योजना की जमीनी हकीकत कुछ और है. जमुई जिला के एक आदिवासी गांव में स्थिति बेहद विकट है. देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन लोगों को शुद्ध पीने का जल भी नहीं मिल रहा है. 

जिले के इस आदिवासी गांव में पीने के पानी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. यहां के आदिवासी समुदाय के लोग पहाड़ से निकल रहे पानी को पीने मजबूर को मजबूर हैं. लोग दो किलोमीटर दूर पहाड़ से निकल रहे पानी को पीने के लिए लाते हैं. 

पेयजल संकट से जूझ रहे लोगों की यह कहानी है जमुई के बरहट प्रखंड के भट्टा गांव की. भट्टा गांव में आदिवासी समाज के लोगों की आबादी 300 से 400 के बीच में है. यहां न तो सरकारी महकमा और न ही किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान इस ओर गया है. 

यहां तक कि गांव में दो सरकारी नल तो हैं लेकिन वो अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. ग्रामीण पहाड़ की तलहटी से गिरने वाले पानी को बर्तन में भरकर लाते हैं. गांव की महिलाएं और बच्चे हर रोज दो से तीन घंटे मेहनत कर पानी लाते हैं. इस गांव की महिलाएं हर दिन पहाड़ों पर जाकर वहां से पानी लाने के लिए घंटों जूझती हैं. गांव में हर घर नल जल योजना आज भी सफल नहीं हो पाई है.