मनरेगा के तहत लगाए गए 18 हजार पेड़ों को काटने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, खनन विभाग को दिया नोटिस

PATNA : पटना हाई कोर्ट ने गया जिला के खिजरसराय प्रखंड स्थित देवगावँ में बालू खनन को लेकर 18 हजार हराभरा पेड़ काटने पर रोक लगा दिया।चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने रौशन कुमार व अन्य की याचिकायों पर सुनवाई करते  हुये बालू खनन कंपनी को नोटिस जारी किया है।

आवेदकों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि गया जिला के खिजरसराय प्रखंड स्थित देवगावँ में वर्ष 2020-21 में मनरेगा योजना के तहत फल्गु नदी के किनारे 18 हजार पड़े लगाये गए थे।सभी पेड़ पांच छह फीट से ज्यादा बड़ा हो गया है। उनका कहना था कि राज्य सरकार ने बालू खनन के लिए इस क्षेत्र को गया के मानपुर स्थित लक्खीबाग के सियाराम कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया है।कंपनी ने हरेभरे पेड़ काटने की गुहार खनन पदाधिकारी सहित डीएम और प्रमंडलीय आयुक्त से लगाई है।

उनका कहना था कि एक ओर सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़  लगाने की बात कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर बालू खनन के लिए पेड़ काटे जाने पर कार्रवाई करने की बात सामने में आ रही हैं।

उनका कहना था कि राज्य सरकार ने वर्ष 20-21 में जल जीवन हरियाली योजना के तहत 18 हजार पेड़ लगाया गया था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटने से जलवायु परिवर्तन में मदद मिलेगी।उनका कहना था कि खनन विभाग ने इस क्षेत्र में बालू खनन के लिए फल्गु नदी का बड़ा हिस्सा बालू खनन कंपनी को दे दिया है।

उन्होंने बताया कि बालू खनन कंपनी ने पेड़ काटने के लिए वरीय अधिकारियों से गुहार लगाई है।कहा है कि बालू खनन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जिस कारण बालू खनन नहीं हो रहा है। कोर्ट ने फिलहाल पेड़ काटने पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया। वहीं बालू खनन कंपनी को नोटिस जारी कर जबाब तलब किया है।

गया डीएम से मांगा जवाब

कोर्ट ने इस मामले में मगध प्रमंडल के आयुक्त सहित गया के डीएम और खनन विभाग को जबाबी हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया।  इस मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 26 जुलाई, 2024 निर्धारित किया है।