Premanand maharaj: प्रेमानंद महाराज ने बताया! लव मैरिज या अरेंज, शादियां क्यों नहीं हो रही सफल?
Premanand maharaj: प्रेमानंद महाराज ने शादी को लेकर युवाओं की सोच, चरित्र, पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव और लिव-इन जैसे विषयों पर अपने विचार साझा किए। जानिए विवाह असफल क्यों हो रहे हैं और समाधान क्या हैं।

Premanand maharaj: विवाह केवल एक सामाजिक समझौता नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में एक पवित्र बंधन माना गया है। यह रिश्तों की वो डोर है, जो प्रेम, श्रद्धा, समर्पण और धार्मिक मूल्यों के आधार पर जीवन भर के लिए दो व्यक्तियों को जोड़ती है।
लेकिन आज के दौर में यह बंधन लगातार कमजोर हो रहा है, तलाक, धोखा, मानसिक तनाव, और रिश्तों में दरार आम हो गए हैं। इस पर प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचनों में युवाओं को कई महत्वपूर्ण बातें बताईं।
शादी में असफलता के मुख्य कारण
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि आजकल के युवाओं में चरित्र का पतन बढ़ रहा है। पहले जहां विवाह से पूर्व पवित्रता एक अहम मूल्य थी, वहीं अब ब्रेकअप-सीरीज़, कई रिश्ते, और भावनात्मक अस्थिरता सामान्य हो गई है।
जिसे चार होटल में खाना खाने की आदत हो उसे घर का खाना अच्छा नहीं लगेगा।" – प्रेमानंद महाराज
इस कथन का तात्पर्य यह है कि अगर कोई व्यक्ति विवाह से पूर्व ही कई लोगों से संबंध बना लेता है, तो उसे स्थिरता और एक रिश्ते की गहराई समझ में नहीं आती।
पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
उन्होंने लिव-इन रिलेशनशिप को भारतीय समाज की संस्कृति और मर्यादा के खिलाफ बताया। उनका मानना है कि यह पाश्चात्य विचारधारा रिश्तों को स्वच्छ नहीं बल्कि भोगवादी दृष्टिकोण से देखती है। लिव-इन रिलेशनशिप गंदगी का खजाना है। ना विचार शुद्ध होते हैं ना व्यवहार और ना शरीर। प्रेमानंद महाराज, जब विचार ही अपवित्र हों, तो जीवनसाथी से समर्पण और सम्मान की अपेक्षा नहीं की जा सकती। आज की शिक्षा और लाइफस्टाइल में धार्मिक मूल्यों की भूमिका कम होती जा रही है। शादी अब सामाजिक इवेंट बनती जा रही है, जबकि उसका मूल उद्देश्य है – एक साथ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति। यदि विवाह धर्म के अनुसार नहीं किया गया, तो जीवनसाथी का चयन भी सही नहीं होगा और वैवाहिक जीवन में सुख की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
लव मैरिज और अरेंज मैरिज: क्या समस्या इनमें है?
प्रेमानंद महाराज का स्पष्ट मत है कि समस्या लव या अरेंज मैरिज के स्वरूप में नहीं, बल्कि उस चरित्र और सोच में है जिसके आधार पर निर्णय लिए जाते हैं। यदि व्यक्ति की सोच संस्कारों, धर्म और संयम पर आधारित हो, तो कोई भी विवाह सफल हो सकता है।