मोटे अनाजों का करेंगे उपयोग तो सुधरेगी किसानों की किस्मत और आपकी सेहत, मन की बात में पीएम मोदी ने की बड़ी घोषणा, जानिए

DESK. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात में विभिन्न विचार व्यक्त किए. पीएम मोदी ने मोटे अनाज के उपयोग की महत्ता को लेकर महत्वपूर्ण घोषणा की. उन्होंने कहा कि योग दिवस और हमारे विभिन्न तरह के मोटे अनाजों - Millets में काफी कुछ common है.."जिस तरह लोगों ने व्यापक स्तर पर सक्रिय भागीदारी करके योग और fitness को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह millets को भी लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं | लोग अब millets को अपने खानपान का हिस्सा बना रहे हैं |"इस बदलाव का बहुत बड़ा प्रभाव भी दिख रहा है |

उन्होंने कहा कि आज हिंदुस्तान के कोने-कोने में G-20 की summits लगातार चल रही है और मुझे खुशी है कि देश के हर कोने में, जहां भी G-20 की summit हो रही है, millets से बने पौष्टिक, और स्वादिष्ट व्यंजन उसमें शामिल होते हैं |"आप कल्पना कर सकते हैं कि देश का ये प्रयास और दुनिया में बढ़ने वाली मिलेट्स (Millets) की डिमांड (demand), हमारे छोटे किसानों को कितनी ताकत देने वाली है |" उन्होंने कहा कि "International Year of Millets की ऐसी शानदार शुरुआत के लिए और उसको लगातार आगे बढाने के लिए मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं को भी बधाई देता हूं |"

इसके पहले उन्होंने कहा कि लोकतंत्र हमारी रगों में है, हमारी संस्कृति में है - सदियों से यह हमारे कामकाज का भी एक अभिन्न हिस्सा रहा है | स्वभाव से, हम एक Democratic Society हैं |" डॉ० अम्बेडकर ने बौद्ध भिक्षु संघ की तुलना भारतीय संसद से की थी | उन्होंने उसे एक ऐसी संस्था बताया था, जहां Motions, Resolutions, Quorum (कोरम), Voting और वोटों की गिनती के लिए कई नियम थे | "तमिलनाडु में एक छोटा, लेकिन चर्चित गाँव है – उतिरमेरुर | यहाँ ग्यारह सौ-बारह सौ साल पहले का एक शिलालेख दुनिया भर को अचंभित करता है | यह शिलालेख एक Mini-Constitution की तरह है |"

मोदी ने कहा कि "हमारे देश के इतिहास में Democratic Values का एक और उदाहरण है – 12वीं सदी के भगवान बसवेश्वर का अनुभव मंडपम | यहाँ free debate और discussion को प्रोत्साहन दिया जाता था | आपको यह जानकार हैरानी होगी कि यह Magna Carta से भी पहले की बात है |"वारंगल के काकतीय वंश के राजाओं की गणतांत्रिक परम्पराएं भी बहुत प्रसिद्ध थी | भक्ति आन्दोलन ने, पश्चिमी भारत में, लोकतंत्र की संस्कृति को आगे बढ़ाया |" "Book में सिख पंथ की लोकतान्त्रिक भावना पर भी एक लेख को शामिल किया गया है जो गुरु नानक देव जी के सर्वसम्मति से लिए गए निर्णयों पर प्रकाश डालता है |" उन्होंने कहा कि आप इस किताब को पढ़ने के बाद महसूस करेंगे कि कैसे देश के हर हिस्से में सदियों से लोकतंत्र की भावना प्रवाहित होती रही है |"