25 महीने में भी नहीं हुई 26 लाख के खिलौनों की खरीदी की जांच, दोषी हो गए मालामाल

MOTIHARI : मोतिहारी का शिक्षा विभाग में गजब का खेल चल रहा है। खिलौना खरीद घोटाले का मामला उजागर होने के 25 माह बाद भी 89 विद्यालयों का जांच अधर में लटका हुआ है।तत्कालीन डीएम के जांच के आदेश के बाद भी शिक्षा विभाग की कुंभकर्णी नींद नही खुली ।विभागीय उदासीनता से स्कूल में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे खुशनुमा माहौल बनाने के लिए टुकुर टुकुर देखते रह गए। वही अफसर व कर्मी दोनों हाथ से माल बटोरकर मालामाल हो गए ।
क्या था पूरा मामला
विद्यालय परिसर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों के सशक्तिकरण व खुशनुमा माहौल बनाने के लिए दो साल पहले जिला प्राथमिक शिक्षा व समग्र विभाग द्वारा चयनित 89 विद्यालयों में में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों के सशक्तिकरण व खुशनुमा माहौल बनाने के लिए खिलौना,म्यूजियम ,वजन मापने वाला मशीन,बच्चों के लिए दरी, मैट ,दीवाल लेखन सहित सामग्री के लिए प्रति विद्यालय 30 -30 हज़ार की राशि भेजी गई थी। लेकिन, सूचि में जिन विद्यालयों में जिन आंगनबाड़ी का नाम शामिल था, उनमें से कई विद्यालयों में संचालित ही नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद गलत रिपोर्ट तैयार किया गया और नियम को ताक पर रखकर बिना सीडीपीओ कार्यालय से सम्पर्क किये विद्यालय के एचएम से राशि निकलवाकर जिला प्राथमिक शिक्षा एवम समग्र विभाग द्वारा बंदरबाट कर लिया गया
सीडीपीओ को पता भी नहीं
नियम के अनुसार विद्यालय एचएम को सीडीपीओ व सेविका से मिलकर आवश्यक सामान की सूची लेकर खरीदारी करनी थी । विभाग द्वारा राशि स्कूल शिक्षा समिति के खाते में भेजी गई थी । लेकिन सभी नियम को ताक पर रखकर न इसकी जनकारी सीडीपीओ को दी गई और न सेविका को । शिक्षा समिति के खाते से रुपया निकालकर एचएम सीधे जिला प्राथमिक शिक्षा एवम समग्र विभाग से जुड़े माफियाओं को दे दिए ।इस संबंध में डीईओ के पक्ष रखने के लिए फोन किया गया ।लेकिन डीईओ के फोन नही उठाने के कारण उनका पक्ष नही लिया जा सका। सूत्रों की मानेंं तो इस खेल में बीआरसी कार्यालय भी शामिल है ।
30-30 हजार रू को दिया गया था. लेकिन नियम को ताक पर रखकर बिना सीडीपीओ कार्यालय से सम्पर्क किये विद्यालय के एचएम से राशि निकलवाकर जिला प्राथमिक शिक्षा एवम समग्र विभाग द्वारा बंदरबाट कर लिया गया । जिस स्कूल में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित नहीं हो रही थी वहां भी राशि भेजकर जिला प्राथमिक समग्र शिक्षा कार्यालय व एचएम मिलकर सरकारी राशि गटक गए । वहीं आंगनबाड़ी केंद्र पर जाने वाले बच्चे खिलौना के लिए टुकुर टुकुर ताकते रह गए ।वहीं दिखावे के लिए एक छोटा आलमीरा खरीद कर स्कूल में भेजी गई राशि का बंदरबाट कर लिया गया।
।वर्ष 2021 के अगस्त माह में मामला उजागर होने के बाद डीपीओ एसएसए द्वारा 89 विद्यालयों के जांच के लिए तीन सदस्यीय कमिटी के गठन किया गया।वही जिला प्रशासन भी जांच का आदेश दिया था। लेकिन 25 माह बीतने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मी फाइल दबाकर रखे हुए हैं। अब सवाल उठता है कि किसको बचाने में जुटे हैं अधिकारी? जांच इतने सुस्त होने का क्या कारण है? सहित कई सवालों को जन्म दे रहा शिक्षा विभाग की उदासीनता।