Jdu politics: CM नीतीश की पार्टी JDU में जंग ! इस बार अशोक चौधरी ने विजय चौधरी को क्यों लपेटे में लिया ? वैसे 'चौधरी जी' का विवादों से है गहरा रिश्ता

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Jdu politics: बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू में कुछ भी ठीक नहीं है. घऱ के अंदर जंग के हालात हैं. पार्टी कई गुटो में बंटती हुई दिख रही है. न सिर्फ सरकार बल्कि दल के अंदर भी नीतीश कुमार का इकबाल खत्म होते हुए दिखाई पड़ रहा है. पार्टी की स्थिति ऐसी हो गई है कि अब सार्वजनिक तौर पर एक नेता दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे हैं. नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले मंत्री अशोक चौधरी ने मुख्य़मंत्री के बेहद करीबी मंत्री विजय चौधरी के विभाग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. आखिर अशोक चौधरी ने विजय चौधरी के विभाग को कटघरे में क्यों खड़ा किया ? बताया जाता है कि इसके पीछे पार्टी के अंदर की गुटबाजी है.  

अशोक चौधरी ने विजय चौधरी को लपेटे में क्यों लिया ? 

अब बाढ़ के मसले पर जदयू के दो नेता आमने-सामने हो गए हैं. इसके पहले अशोक चौधरी के कविता प्रकरण पर विवाद खड़ा हुआ था. फिर एक खास जाति पर अशोक चौधरी द्वारा किए गए प्रहार पर जेडीयू में भूचाल आ गया था. 2023 में अशोक चौधरी के पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से विवाद की भी खबरे आई थीं. अब 2 अक्टूबर को अशोक चौधरी ने बाढ़ के मसले पर जल संसाधन मंत्री को कहीं न कहीं कटघऱे में खड़ा किया है. इसके बाद पार्टी के अंदर से ही अशोक चौधरी के बयान पर कड़ी आपत्ति दर्ज की गई है ।

अशोक चौधरी को नीरज कुमार ने दिया करारा जवाब

 दरअसल, ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी ने जल संसाधन विभाग को कटघरे में खड़ा किया. गांधी जयंती के दिन कहा कि जल संसाधन विभाग और हम लोग थोड़े और चौकस रहते तो हो सकता है की बाढ़ से जो नुकसान हुआ है वह नहीं होता. अशोक चौधरी के बयान ने दल के अंदर भूचाल ला दिया .ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री ने सीधे तौर पर जल संसाधन विभाग के मंत्री विजय चौधरी को कटघरे में खड़ा कर दिया. इसके बाद पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाढ़ को मसले पर शुरू से ही संवेदनशील रहे हैं. वह हमेशा सजग सचेत और सतर्क रहते हैं. दूसरों को भी इसी मोड में रखते हैं. आखिर यह बातें कुछ लोगों को कैसे याद नहीं रहती हैं?  जदयू के अंदर एक बार फिर से विवाद की शुरुआत तब हुई जब अशोक चौधरी ने बाढ़ के मसले पर अपना मुंह खोला. मुंह खोलते ही विवाद बढ़ गया. उन्होंने कहा कि अगर जल संसाधन विभाग से लेकर हम लोग तक थोड़े और चौकस रहते तो हो सकता है की बाढ़ से जो नुकसान हुआ है वह नहीं होता. उन्होंने राहत और बचाव कार्य की तारीफ की कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाढ़ पीड़ितों को सात-सात हजार रुपया देने वाले हैं.

विजय चौधरी को नीचा दिखाने को अशोक चौधरी ने जान बूझ कर दिया बयान ?  

अशोक चौधरी ने इस बार जेडीयू कोटे वाले विभाग को क्यों लपेटा ? जानकार बताते हैं कि इसके पीछे बड़ा खेल है. क्यों कि जेडीयू जहां पहले कोई गुट नहीं था, अब कई गुट बन गए हैं. एक गुट दूसरे गुट को कमजोर करने की कोई कसर नहीं छोड़ रहा. हाल में अशोक चौधरी विवादों में घिरे हैं, पार्टी के अंदर अब पहले वाली स्थिति नहीं रही. अशोक चौधरी की काट में एक बड़े दलित नेता श्याम रजक की इंट्री कराई गई है. जेडीयू में शामिल कराते ही श्याम रजक को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया. पार्टी के अंदर के लोग बताते हैं कि श्याम रजक की इंट्री और राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने से अशोक चौधरी खुश नहीं है. यह भी बताया जाता है कि श्याम रजक की इंट्री में नीतीश कुमार के बेहद करीबी मंत्री विजय चौधरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. अशोक चौधरी इस बात को समझ गए हैं. लिहाजा बाढ़ का मौका मिला तो सीधे जल संस्धान विभाग को ही कटघऱे में खड़ा कर दिया.  

अशोक चौधरी का विवादों से गहरा नाता !

इसके पहले अगस्त 2024 में अशोक चौधरी ने अप्रत्यक्ष रूप से जहानाबाद लोकसभा सीट पर पार्टी की हार के लिए भूमिहार जाति को ज़िम्मेदार ठहराया था. साथ ही धमकाने केअंदाज में अपनी बातें कही थी. इसके बाद विवाद बढ़ गया था. पार्टी के अंदर ही वे घिरते हुए दिखे थे. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने अशोक चौधरी के बयान पर कड़ा ऐतराज जताया था. मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंच गया था. हालांकि विवाद बढ़ते देख अशोक चौधरी ने यू-टर्न लेते हुए अपनी सफाई दिया था. इसके बाद अशोक चौधरी का कविता पाठ भी विवादों में घिर गया था. सोशल मीडिया में लिखा था...''बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए'' अशोक चौधरी की कविता से JDU में खलबली मच गई थी. इस कविता को नीतीश कुमार से जोड़कर देखा गया था. हालांकि विवाद बढ़ने के बाद अशोक चौधरी नीतीश आवास पहुंचकर सफाई दिया था. कविता विवाद के बाद नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी को भी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाकर मैसेज देने की कोशिश की थी, कि कहीं कोई विवाद नहीं है. 

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