वक्फ विधेयक के समर्थन में लोकसभा में विपक्ष पर गरजे ललन सिंह, जदयू की घोषणा- ये मुसलमान विरोधी नहीं
पटना/दिल्ली. लोकसभा में गुरुवार को वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश किया गया है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक को पेश किया। हालांकि विधेयक को मुसलमान विरोधी बताकर कई विपक्षी सदस्यों ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला. वहीं मोदी सरकार के फैसले का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री और बिहार के मुंगेर से सांसद ललन सिंह विपक्ष पर आक्रमक तरीके से सदन में अपनी बात रखी. लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर बोलते हुए जेडीयू सांसद और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने कहा, "यह मुसलमानों के खिलाफ कैसे है? यह कानून पारदर्शिता लाने के लिए बनाया जा रहा है. विपक्ष इसकी तुलना मंदिरों से कर रहा है, वे मुख्य मुद्दे से ध्यान भटका रहे हैं. केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस) को बताना चाहिए कि हजारों सिख कैसे मारे गए. किस टैक्सी ड्राइवर ने इंदिरा गांधी को मारा? अब, वे अल्पसंख्यकों के बारे में बात कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस बिल मुस्लिम विरोधी नहीं बल्कि इसे और ज्यादा पारदर्शी बनाना मकसद है. ललन सिंह ने विपक्ष पर पलटवार किया और इसको गलत ठहराया ललन सिंह ने साफ तौर पर कहा कि ये बिल मुसलमान विरोधी नहीं है. ललन सिंह ने कहा कि ये मंदिर की बात करते हैं, लेकिन इसमें मंदिर की बात कहां से आ गई. कोई भी संस्था जब निरंकुश होगी तो सरकार उस पर अंकुश लगाने के लिए, पारदर्शिता के लिए कानून बनाएगी. ये उसका अधिकार है. पारदर्शिता होनी चाहिए और ये बिल पारदर्शिता के लिए है. उन्होंने कहा कि ये अल्पसंख्यकों की बात करते हैं, सिखों का कत्लेआम किसने किया था.
ललन सिंह ने कहा कि आपके मस्जिद को छेड़छाड़ करने का प्रयास नहीं किया जा रहा है, यह एक कानून से बना हुआ संस्था है, उस संस्ता को पारदर्शी बनाने के लिए कानून बनाया जा रहा है, कोई निरंकुश, कोई भी कानून से वक्फ बोर्ड किसी कानून से बना है, कानून से बना कोई भी संस्ता निरंकुश होगा, तो उसमें सरकार को हक है कानून बनाने का।
उनसे पहले कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल ने भी बिल का विरोध किया और कहा कि यह मुसलमानों को टारगेट करने वाला है। डीएमके की सांसद कनिमोझी ने कहा कि यह संविधान का सीधे तौर पर उल्लंघन है। आर्टिकल 30 कहता है कि अल्पसंख्यक समुदाय को अपने संस्थानों का संचालन करने का अधिकार है। आखिर किसी धार्मिक संस्था में ऐसे लोग कैसे शामिल हो सकते हैं, जिनकी उसमें कोई आस्था ही न हो। यह एक धर्म के लोगों को भी निशाने पर लेने वाला है, जो संविधान के आर्टिकल 14 का भी उल्लंघन है। एनसीपी-शरद पवार की सांसद सुप्रिया सुले ने भी इस विधेयक का विरोध किया।