जमुई के 81 साल के अर्जुन मंडल के औषधीय बागीचे को राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

JAMUI : जमुई जिले के लक्ष्मीपुर प्रखंड के चिनवेरिया गांव के रहने वाले 81 वर्षीय किसान अर्जुन मंडल को औषधीय पौधों को बचाने और उसे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगो के दैनिक जीवन में इस्तेमाल के गुण और ज्ञान के बारे में बताना, औषधी पौधे से बने दवाई और उसे बीमारी में उसे इस्तेमाल के गुण को बताने को लेकर उनका चयन राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए किया गया था। कल 12 सितंबर को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में महामहिम राष्ट्रपति के हाथों उन्हें पुरस्कृत किया गया। 

अर्जुन मंडल बताते हैं कि उनके औषधीय बगीचा में ढाई सौ से भी अधिक किस्म के 20 हजार के करीब पौधे उपलब्ध हैं। हर एक औषधि पौधे का महत्व है।जिसका उपयोग कर लोग कई तरह की बीमारियों से बच सकते हैं। अर्जुन मंडल पांच दशकों से औषधि पौधों की खेती कर रहे है। इनके बगीचे में मालकांगनी, गरुड़तरु,  लक्ष्मीतरु, नील, दमबेल,  बाकस, गोरखमुंडी उल्टाकमल, चारुपुत्रक, कुचला, दर्दमेडा, अपरस, दहीपलास, ईश्वर फुल, गुलमार कई अन्य प्रकार के दुर्लभ प्रजाति के औषधीय पौधों उपलब्ध है। जिसकी मांग बिहार के अलावे  दूसरे कई राज्यों में  हैं। 

पांच दशक से जुड़े हैं औषधीय पौधों से

अर्जुन मंडल ने इंटर पास कर 1969 में होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज भागलपुर से डिप्लोमा किए थे और 1970 से औषधीय पौधों को संरक्षित करते आ रहे है। पिछले 58 सालों से अर्जुन मंडल औषधीय पौधों को संरक्षित करते आए हैं। उन्होंने बताया की ज्यादातर पौधे जमुई जिला में मौजूद वन्य क्षेत्र से ही ढूंढ कर अपने बगीचे में लगाया है। अर्जुन मंडल बताते हैं कि मेरा लक्ष्य यह है कि हर गांव में औषधीय पौधा पहुंचे। उन्होंने बताया कि वह गांव-गांव घूम कर भी लोगों के बीच औषधीय पौधों को मुफ्त में देते है। 

इस काम में प्रॉफिट के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नो लॉस नो प्रॉफिट के उद्देश्य से काम करते हैं।अर्जुन मंडल ने बताया कि वर्ष 2013 में गुजरात में आयोजित एक कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ किसान का पुरस्कार मिल चुका है। यह सम्मान उन्हें भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री तथा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा दिया गया था। 

इसके अलावा उन्हें बिहार सरकार के द्वारा किसान श्री के पुरस्कार से भी नवाजा गया है और जिलास्तर पर कई ऐसे पुरस्कार मिल चुके हैं। उसके बाद अब इन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है जो की जमुई जिले के लिए गौरव की बात है।