दरभंगा में भाजपा के ब्राह्मण दांव को राजद से एमवाई सीधी चुनौती, मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी में मुद्दों पर हावी जाति की राजनीति

दरभंगा में भाजपा के ब्राह्मण दांव को राजद से एमवाई सीधी चुनौती, मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी में मुद्दों पर हावी जाति की राजनीति

पटना. मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा पिछले 25 वर्षों से भाजपा का मजबूत गढ़ बना हुआ है. वर्ष 1999 में पहली बार क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने दरभंगा में कमल खिलाया और फिर से 2009 तथा 2014 में जीते. वहीं 2019 में भाजपा से गोपालजी ठाकुर ने 2.67 लाख वोटों के अंतर से राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी को मात दी. ऐसे में अपने मजबूत गढ़ में भाजपा फिर से कमल खिलाना चाहती है तो राजद ने वर्षों बाद यहां अपनी सियासी रणनीति में बदलाव कर बड़े उलटफेर की योजना बनाई है. राजद ने ललित कुमार यादव को उम्मीदवार बनाया है जो दरभंगा ग्रामीण से विधायक हैं.

राजद का ललित यादव को उम्मीदवार बनाना लालू- तेजस्वी यादव की खास सियासी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. दरअसल, दरभंगा में ब्राह्मण सांसद सबसे ज्यादा बने हैं. उसके बाद मुस्लिम समाज से आने वाले हैं. इसमें लालू यादव के खास अली अशरफ फातमी चार बार यहाँ से सांसद रहे. वहीं इस बार ललित यादव को उम्मीदवार बनाकर राजद ने दरभंगा में मुस्लिम-यादव गठजोड़ को मजबूत करने की कोशिश की है. मतदाताओं की संख्या के लिहाज से लालू यादव का यह दाव एक हद तक उनके उम्मीदवार को मजबूती भी देता है. लेकिन जमीनी हकीकत कई चुनौतियों से पार पाने की है. 

ऐसे में पांच साल के कामकाज का हिसाब का देने के साथ ही स्थानीय लोगों के कई मुद्दों का सामना भाजपा के गोपालजी ठाकुर को करना पड़ रहा है. इसमें एम्स निर्माण सबसे अहम है. इस मुद्दे को लेकर विपक्ष भाजपा पर हमलावर है. दरभंगा से किस्मत आजमा रहे 8 उम्मीदवारों में सबसे प्रमुख गोपाल जी ठाकुर और ललित यादव ही हैं. दोनों अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कई समीकरणों को साधने में लगे हैं. साथ ही अपने पक्ष में मतदाताओं को गोलबंद करने के लिए कई बड़े नेताओं को भी दरभंगा में उतारा गया. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा भी शामिल रही. वहीं राजद से तेजस्वी यादव ने कमान संभाली. 

संयोग से विधायकों के मामले में एनडीए यहां छह में से 5 विधानसभा सीटों पर काबिज है. दरअसल, 2020 के विधानसभा चुनाव में दरभंगा के छह में एक एक सीट पर भाजपा जीती थी और दो पर जदयू को जीत मिली थी. वहीं एक सीट पर राजद और दो पर वीआईपी के प्रत्याशी जीते. हालाँकि 2023 में वीआईपी के दरभंगा से आने वाले दोनों विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया. भाजपा के लिए पांच विधायकों का इलाके में होना बड़ी उसके चुनाव प्रचार को धार दे रहा है. दरभंगा लोकसभा सीट के तहत गौरा बौराम, बेनीपुर, अलीनगर, दरभंगा ग्रामीण, दरभंगा और बहादुरपुर सीटें शामिल हैं. इसमें गौरा बौराम से स्वर्ण सिंह, बेनीपुर से बिनय कुमार चौधरी, अलीनगर से मिश्री लाल यादव, दरभंगा ग्रामीण से ललित कुमार यादव, दरभंगा से संजय सरावगी और बहादुरपुर से मदन सहनी विधायक हैं.

जातियों समीकरणों में ब्राह्मण मतदाता चार लाख के करीब बताये जाते हैं. वहीं दुसरे मु्स्लिम मतदाताओं की संख्या 3 लाख के करीब है. इस सीट पर मल्लाह जाति के 2 लाख वोटर हैं. जबकि एससी-एसटी समुदाय के ढाई लाख मतदाता हैं. दरभंगा में यादव समाज के वोटरों की संख्या भी 1.70 लाख से ज्यादा है. जातियों को साधने में दोनों ओर से बड़े बड़े दिग्गज लगे हैं. कमोबेश जीत-हार में इन जातियों की सबसे अहम भूमिका होगी. 

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