भागलपुर में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से प्रसव के डेढ़ घंटे के बाद नवजात बच्चे की ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत, दम्पत्ति के घर 5 साल बाद आई थी खुशियां
भागलपुर- जिले में अस्पताल की लचर व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठते रहते हैं. दुर्घटनाएं भी होती है .आवाज उठते हैं, हंगामा होता है लेकिन यह तो बिहार है भाई यहां ऐसा ही होता है. समय में साथ लोग घटनाओं को भूल जाते हैं. ताजा मामला भागलपुर भागलपुर जिले के नवगछिया पुलिस जिला के रंगरा सामुदायिक अस्पताल का है जहां पर मधेपुरा निवासी सऊद आलम अपनी पत्नी छोटी खातून का प्रसव करवाने को लेकर अस्पताल पहुंचे थे जो कि अपने 5 साल के बाद अपने बच्चे के जन्म होने से पूर्व काफी खुश थे और बच्चे के प्रसव होने के 1:30 घंटे के बाद बच्चे को डॉक्टर के द्वारा मृत घोषित कर दिया गया.
बता दें की घटना का आंखों देखा हाल मौके पर मौजूद परिजनों ने पत्रकारों को बताया जिसे उन्होंने बताया कि जब बच्चे ने 2:40 पर जन्म लिया तो बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ था इसकी जानकारी हमें नर्स ने भी दी थी और उन्होंने कहा था कि बच्चे को हमने अभी ऑक्सीजन लगाया हुआ है और बच्चा ठीक-ठाक है लेकिन अचानक बिजली कट जाने के कारण जनरेटर सुविधा आधे घंटे तक उपलब्ध नहीं हो पाई कारण क्या था कि मौके पर जनरेटर की देखरेख करने वाले मौजूद नहीं थे और जब वह पहुंचे तो जनरेटर में तेल नहीं था जनरेटर में तेल डालने और उसे चालू करने में करीब 20 से 25 मिनट का समय लग गया इस वजह से की ऑक्सीजन की आपूर्ति बच्चे को नहीं हो पाई और बच्चे की मौत हो गई.
परिजन कह रहे हैं कि डॉक्टरों और अस्पताल प्रभारी की मिली भगत और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से बच्चे की मौत हुई है घटना के बाद अस्पताल में स्थानीय लोगों सैकड़ो की संख्या में जमा हो गए और अस्पताल में हंगामा करने लगे इसके बाद मौके पर रंगरा थाना की पुलिस पहुंची और 112 की टीम आई. वहीं परिजनों की मांग है की अस्पताल प्रशासन एवं अस्पताल में जनरेटर सप्लाई देखने वाले ठेकेदार पर भी एफआईआर किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटना ना हो जिस वजह से किसी की जान जाए.
वही पत्रकारों से बातचीत करते हुए सामुदायिक अस्पताल रंगरा के अस्पताल प्रभारी डॉक्टर रंजन ने बताया कि हमारे अस्पताल में संसाधनों की कमी है जिस वजह से बच्चों के प्रसव को लेकर हम दुविधा में रहते हैं हमारे पास शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है. अस्पताल में आशा के भरोसे ही महिलाओं का प्रसव होता है
वही मौके पर मौजूद मृत बच्चे के मौसा ने बताया कि अस्पताल के कुछ दूरी पर अर्जुन एएनएम कॉलेज है जो की नर्स को ट्रेंड करने के लिए अपने छात्रों को अस्पताल भेज देता है जहां पर मरीजों के जीवन के साथ अस्पताल में ट्रेनिंग नर्स खिलवाड़ करते हैं और मोबाइल चलाते हैं ड्यूटी के दौरान नर्स एवं डॉक्टर सभी मोबाइल पर लगे रहते हैं परिजन चिल्लाते रहते हैं लेकिन उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है.
मृत बच्चे के परिजन ने कहा की अस्पताल के कुछ दूरी पर अर्जुन एएनएम कॉलेज है जो की नर्स को ट्रेंड करने के लिए अपने छात्रों को अस्पताल भेज देता है जहां पर मरीजों के जीवन के साथ अस्पताल में ट्रेनिंग नर्स खिलवाड़ करते हैं और मोबाइल चलाते हैं ड्यूटी के दौरान नर्स एवं डॉक्टर सभी मोबाइल पर लगे रहते हैं परिजन चिल्लाते रहते हैं लेकिन उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है.
मृत बच्चे के परिजन ने कहा की बच्चा का जन्म बिल्कुल ठीक ठाक लिया था, हमको कॉल भी किया गया था और हम खुद आकर देखे भी थे. जिसके बाद हम अस्पताल के बाहर दुकान में बैठ गए. फिर तुरंत कॉल आया की बच्चा को ऑक्सीजन लगाया है और जनरेटर नही चला रहा है. जब हम दौड़ कर आए तो देखे की दो गार्ड डीजल लेकर खड़ा था, इसका मतलब है कि जनरेटर में तेल पहले से खत्म था.
अस्पताल प्रभारी डॉक्टर रंजन कुमारी ने कहा कि बच्चा पैदा होने के बाद से हीं रो नही रहा था, बच्चा धीरे धीरे ब्लू हो रहा था. ऑक्सीजन लगाया गया तो गंदा गंदा पानी निकलने लगा. बच्चा जैसे ही गंभीर हुआ हमने परिजनों को सूचना दे दी थी. बच्चा रेफर करने की स्थिति में नही था. हमारे अस्पताल में संसाधनों की कमी है जिस वजह से बच्चों के प्रसव को लेकर हम दुविधा में रहते हैं हमारे पास शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है. अस्पताल में आशा के भरोसे ही महिलाओं का प्रसव होता है.
रिपोर्ट - अंजनी कुमार कश्यप