पटना हाईकोर्ट ने पटना नगर निगम के आयुक्त पर शुरू किया अवमानना का मामला, जानिए क्या है पूरा मामला

PATNA : पटना हाईकोर्ट के कार्रवाई नहीं करने के आदेश के बावजूद दफ्तर तोड़े जाने पर चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने आयुक्त से कई सवाल भी किया। उनके हर सवाल के जबाव को अपने आदेश में दर्ज करने के साथ साथ उनके खिलाफ अवमानना मामला शुरू किया। इस केस में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार कोर्ट के समक्ष उपस्थित थे।
गौरतलब है कि एक समाचार पत्र के दफ्तर के जमीन को लेकर विवाद है। जब निगम ने इसे तोड़ने के लिए निर्देश दिया, तब आवेदक ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर उसे चुनौती दी। सिंगल बेंच ने दायर याचिका को खारिज करते हुए दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इस आदेश को अपील दायर कर चुनौती दी गई। जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने गत 2 फरवरी को विवादित जमीन पर किसी तरह का कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया। साथ ही दस हजार रुपये के जुर्माने राशि देने पर रोक लगा दी। 11अगस्त,2023 को चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित कर लिया।
इससे पूर्व जब निगम की ओर से कार्रवाई कर अखबार के दफ्तर को ध्वस्त कर दिया गया,तो कार्रवाई की जानकारी रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से चीफ जस्टिस को दी गई। उन्हें सारे तथ्यों से अवगत कराया गया। आज कोर्ट ने सुनवाई इस मामलें पर सुनवाई करते हुए नगरपालिका अधिकारियों सहित किसी को भी विवादित परिसर में प्रवेश नहीं करने की जिम्मेदारी कोतवाली थानेदार को सौंप दी।
सुनवाई के दौरान पटना नगर निगम आयुक्त व कोतवाली थानेदार को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने सुनवाई के समय आयुक्त से की गई कार्रवाई को लेकर सवाल किया और उनके जबाव को अपने आदेश में दर्ज किया। आयुक्त ने अपने बचाव में कहा कि हाईकोर्ट में पटना नगर निगम का पक्ष रखने वाले वकील ने उन्हें सूचित किया कि आवेदक का एलपीए खारिज हो गया है।
जब कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या सभी केसों में इसी तरह से कार्रवाई की जाती है, तो उन्होंने कहा कि नहीं सभी केसों में इस तरह से कार्रवाई नहीं की जाती। कोर्ट ने सभी सवालों और उसके जबाब को दर्ज कर आगे की कार्रवाई के लिए इस मामलें पर आगे की सुनवाई जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ करेगी।