Pitru Paksha 2024 यहां श्मशान घाट पर क्यों होता है पितृपक्ष में पिंडदान, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत

Pitru Paksha 2024 यहां  श्मशान घाट पर क्यों होता है पितृपक्ष में पिंडदान, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत

Pitru Paksha 2024 पूरी दुनिया में गया को श्राद्ध और पिंडदान के लिए जाना जाता है, मगर बहुत कम लोगों को पता है कि गया से 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित गुरुआ प्रखंड के भूरहा में भी पिंडदान होता है. यूं तो भूरहा की पहचान बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में है. यहां का छठ पूजा, बिसुआ मेला, कार्तिक पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा भी प्रसिद्ध है. लेकिन भूरहा में लोग दूर-दूर से अपने पूर्वजों को नरक से मुक्ति के लिए पिंडदान करने भी आते हैं. पितृपक्ष मेला, बिसुआ मेला एवं मकर संक्रांति के दौरान बड़ी संख्या में लोग पिंडदान करते हैं. 


आचार्य शंभू शरण पाठक के अनुसार पिंडदान दो तरह के होते हैं. एक जो ''गया श्राद्ध'' के अंतर्गत होता है, दूसरा ''तीर्थ पिंड'', इसके अंतर्गत जो लोग गया जाने में सक्षम नहीं हैं, वे अपने क्षेत्र में ही पिंडदान करते हैं. चूंकि भूरहा के आसपास के लोग भूरहा को तीर्थ स्थल मानते हैं, इसलिए बड़ी संख्या में लोग यहां पिंडदान करते हैं. भूरहा 30 पिंड वेदियां हैं, जो शिव मंदिर के नीचे सीढ़ियों पर, श्मशान घाट पर, सूर्य मंदिर से सटे सूर्य कुंड के पास और दुब्बा गढ़ पर स्थित हैं. भूरहा महोत्सव समिति के पूर्व अध्यक्ष राजदेव प्रसाद ने बताया कि यहां हजारों लोग तर्पण और पिंडदान करते हैं. भूरहा में पिंडदान कब से हो रहा है, इसका कोई प्रमाण तो नहीं मिलता, लेकिन बुजुर्ग बताते हैं कि कम से कम सौ सालों से यहां पिंडदान हो रहा है. भूरहा में पिंडदान करना गया के अपेक्षा बहुत ही कम खर्चीला व आसान है.

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