प्रशांत किशोर का बड़ा हमला - नीतीश कुमार और राजद का अपना ठिकाना है नहीं, ये लोग क्या किसी को पीएम बनाएंगे, कहीं इस पूर्व सीएम की तरह न हो जाए हाल

HAJIPUR : बिहार के सीएम नीतीश कुमार विपक्षी एकता को मजबूत करने में लगे हैं। बीते सोमवार को वह ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से मिले। जहां सभी ने मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया। वहीं जिस तरह की भूमिका नीतीश कुमार निभा रहे हैं। उसको लेकर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने उनकी तुलना आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू से कर दी है।
हाजीपुर में मीडिया से बात करते हुए पीके ने कहा 2019 में आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू यही काम कर रहे थे, जो आज नीतीश कुमार कर रहे हैं। नीतीश कुमार के तो सिर्फ 42 विधायक हैं, चंद्रबाबू नायडू की उस समय लोकसभा में कई सांसद थे, राज्य में अपनी सरकार थी। वह भी नीतीश कुमार की तरह हर राज्य में जाकर समर्थन जुटा रहे थे। लेकिन जब चुनाव हुए तो सिर्फ 3 सांसद उनकी पार्टी से बने। राज्य में भी सरकार चली गई। मेरी सलाह है कि नीतीश कुमार को बिहार पर ध्यान देने की जरुरत है, नहीं तो उनका हाल भी कहीं चंद्र बाबू नायडू जैसा न हो जाए।
पीके ने कहा मुझे आश्चर्य लगता है कि एक ऐसी पार्टी जिसका कोई एमपी भी नहीं है, वह भी यह दावा कर रहा है कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा, वह तय करेगा। जिस पार्टी का अपना कोई ठिकाना नहीं है, वह देश के प्रधानमंत्री के लिए पार्टियों को इकट्ठा कर रहा है।
ममता को मुझसे ज्यादा नहीं जानते नीतीश
जहां तक ममता बनर्जी से भेंट की बात है तो उसका कोई फायदा नहीं है। ममता बनर्जी को मैं नीतीश कुमार से ज्यादा अच्छी तरह से जानता हूं। नीतीश जी को यह बताना चाहिए कि क्या ममद कांग्रेस को बंगाल में साझीदार बनाएंगी। क्या नीतीश लालू ममता को बिहार में एक भी सीट देंगे या ममता बनर्जी बंगाल में जदयू को सीट देंगी। सच्चाई यह है कि बंगाल में नीतीश कुमार को कोई नहीं पूछता है।
यूपी में अखिलेश से मुलाकात की भी बखिया उधेड़ते हुए उन्होंने कहा कि यहां सपा की हालत कैसी है, यह इससे समझ सकते हैं कि 2014 और 2019 में अखिलेश की पार्टी को सिर्फ 5-5 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन बात ऐसे कर रहे हैं कि सबसे बड़ी पार्टी वह हीं हैं।
पांच किमी भी नहीं चल सकते
पीके ने नीतीश कुमार पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि वह लोग मुझे भाजपा की बी टीम कहेंगे, जबकि खुद नीतीश कुमार बी टीम बनकर रह गए हैं। जो सिर्फ सत्ता की राजनीति करते हैं। सच्चाई यह है कि यह लोग पांच किमी भी पैदल नहीं चल सकते हैं।