बसंत के मौसम में खानपान में परिवर्तन कर चिरकाल तक यौवन की आभा को रखे सुरक्षित

बसंत के मौसम में खानपान में परिवर्तन  कर चिरकाल तक यौवन की आभा को रखे सुरक्षित

पटना: वसंत को ऋतुओं का राजा कहा गया है. प्रसाद के अनुसार पूर्णिमा की रात्रि सुषमा स्वच्छ सरसाती रही, इन्दु की किरणें सुधा की धार बरसाती रहीं..और  सुधा की धार तभी बरसेगी जब आप स्वस्थ्य होंगे. स्वस्थ्य रहने के लिए ऋतुओं के अनुसार भोजन का वर्णन प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है. वसंत ऋतु का आगमन हो गया है. सर्दी अंतिम सांस गिन रही है. मौसम के तापमान में परिवर्तन होना शुरु हो गया है. ऐसे में खानपान में भी बदलाव कर लेना श्रेयस्कर होगा.

वसंत में इन फलों का सेवन कर रहें स्वस्थ्य

आयुर्वेद के अनुसार वसंत के  मौसम में कफ से संबंधित रोग होने की संभावना ज्यादा होती है. ऐसे में वसंत ऋतु में सूरज की रोशनी पपीता, सरसों, बेर, अमरूद और कद्दू जैसी पीली चीजों पर पड़ने से इनके पोषक तत्वों में वृद्दि हो जाती है. वहीं पपीता खाने से पेट की सफाई होती है. यह शरीर में विटामिन ए की कमी को पूरा कर त्वचा व आंखों के रोगों को दूर करता है. तो वसंत ऋतु में कद्दू का सेवन लाभदायक माना गया है. यह डायबिटीज और मोटापा कम करने के लिए फायदेमंद होता है. विटामिन ए से भरपूर कद्दू पाचनक्षमता को भी सुधारता है.

बेर और सरसो के साग में है औषधीय गुण

आयुर्वेद में अमरूद और बेर का सेवन वसंत ऋतु में करने की सलाह दी गी है. इन फलों में  विटामिन सी से भरपूर मात्रा में होती है. सरसों का साग के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और जोड़ों का दर्द कम होता है.

धूप में जरुर बैठें

वहीं वसंत के ऋतु में धूप में बैठने की सलाह दी जाती है. धूप लेने से दिमाग तेज होता है और नई ऊर्जा मिलती है फलस्वरूप व्यक्ति की काया निरोगी बनी रहती है.

इनको खाने से करें परहेज

दूध और दही  का सेवन वसंत ऋतु में नहीं करने की सलाह दी जाती है. इस मौसम में कफ की समस्या ज्यादा रहती है इसलिए इस मौसम में दही का सेवन न करें. इस दौरान हल्दी का प्रयोग अधिक करें क्योंकि यह कफ को दूर करने का काम करती है. साथ ही तली हुई चीजों, उड़द की दाल, आलू, सिंघाड़ा और खट्टी चीजों से परहेज करें क्योंकि इनसे खांसी की समस्या हो सकती है.

चिरकाल तक यौवन की आभा रहेगी सुरक्षित

आयुर्वेद के अनुसार सूरजमुखी के फूल की पत्तियों का लेप बनाकर लगाने से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं. इस फूल की पत्तियों को तिल के तेल में उबालकर सिर की मालिश करने से बाल घने और काले होते हैं, साथ ही सिरदर्द में भी राहत मिलती है. गेंदे के फूल की पत्तियों को पीसकर चोट, मोच और सूजन आदि पर लेप लगाने से लाभ होता है. गेदे को एंटी बैक्टीरियल माना गया है. इस मौसम में खसखस, नींबू आदि का जूस जरूर पीना चाहिए. 

वसंत में इन से कर लें परहेज

सब्जियों में करेला, लहसुन, पालक, केले के फूल, जिमीकन्द व कच्ची मूली, नीम की नई कोपलें, सोंठ, पीपल, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आँवला, धान की खील, खस का जल, नींबू आदि का सेवन करें.बसंत ऋतु में भारी, चिकनाई युक्त, खट्टी  और मीठी चीजों के सेवन से परहेज करना चाहिए.  ऋतुओं के बदलाव के साथ हम  आहार विहार में परिवर्तन कर अपनी काया को निरोग रख सकते हैं.

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