न्याय पाने के लिए कार्यालयों में भटक रहे हैं रिटायर्ड जज : एक जमीन पर सीओ और रेवेन्यू ऑफिसर ने दिए अलग-अलग फैसले, अब अधिकार को लेकर फंस गया है पेच
KATIHAR : एक रिटायर्ड जज, जिसने अपने नौकरी के दौरान कई बड़े फैसले सुनाए, लेकिन अब खुद एक ऐसे मामले में उलझ गए है। जिनमें 24 घंटे की अवधि में दो अलग-अलग फैसले सुनाए गए। जिनमें एक फैसला रिटायर जज के पक्ष में था, वहीं दूसरा फैसला उनके विरुद्ध। यह दोनों फैसले अलग अलग अधिकारियों ने दिए। जहां एक फैसला सीओ का था, वहीं दूसरी फैसला रेवेन्यू ऑफिसर का। अब दोनों फैसलों को लेकर पूर्व जज साहब अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। वहीं अधिकारी इस अनोखे फैसले को लेकर हैरान हैं और इसे आपसी तालमेल में चूक का परिणाम बता रहे हैं।
मामला रिटायर जज अशोक कुमार राया से जुड़ा है। बताया गया कि नगर थाना क्षेत्र के रामपुर खाता नंबर 33, प्लॉट संख्या 267 कुल 10.15 डेसिमल जमीन से जुड़ा हुआ है, स्वर्गीय नीलीमा राय के इस जमीन पर अशोक राय का दावा है कि जमीन को फर्जी तरीके से बेचने के बाद गलत तरीके से इस पर मोटेशन भी करवा दिया गया है,इस लिए उनके द्वारा दाखिल खारिज संख्या 3581 पर आपत्ति जताया गया है
22 सितंबर को सीओ ने दिया फैसला
अशोक राय कहते हैं इस मामले में उनके आपत्ति के बाद इस पर सुनवाई के लिए उनको और उनके विरोधी पार्टी को 22 सितंबर को सुनवाई के लिए नोटिस जारी कर बुलाया गया था,जिस पर अंचल अधिकारी ने कागज जांच के बाद उनके अपोजिशन की गैर मौजूदगी में उनके पक्ष में फैसला होने के आश्वासन देते हुए 2 से 3 दिन बाद उन्हें ऑनलाइन से फैसले की रिपोर्ट निकाल लेने की बात कहा था
बदला हुआ था पूरा फैसला
जब दो दिन बाद ऑनलाइन से फैसला निकल गया तो अशोक राय को पता चला की 21 सितंबर को ही रेवेन्यू ऑफिसर नेहा रानी ने उसे पर उनके विरोधी के पक्ष में फैसला दे दिया है अब अशोक राय जिलाधिकारी के पास इसी बात को लेकर गुहार लगा रहे हैं कि जब उन्हें और उनके विरोधी पार्टी को नोटिस देकर 22 सितंबर को बुलाया गया है तो 21 सितंबर को फैसला दूसरे पदाधिकारी द्वारा कैसे दिया जा सकता है
इस पूरे मामले पर अंचल कार्यालय में अक्सर आसपास के कुर्सी में ही बैठेने वाले रेवेन्यू ऑफिसर नेहा कुमारी और अंचल अधिकारी सोनू भगत कहते हैं कि इसमें ऑफिस से कुछ चूक हुआ है, ऑफिस में स्टाफ के कमी रहने के कारण इस मामले को लेकर कम्युनिकेशन गैप हुआ है। अब वरीय पदाधिकारी के निर्देश पर इस मामले को सुधार किया जा सकता है।
इस बीच पीड़ित सेवा निर्वित जज की परेशानी के सवाल पर अंचल कार्यालय के दोनों जिम्मेदार पदाधिकारी चुप्पी साधते दिखे बताते चले बिहार में जमीन विवाद एक बड़ा अपराध की वजह है, ऐसे में अधिकारियों की लापरवाही से अगर इस तरह का चूक होता रहे तो विवाद और अपराध के आंकड़ों में और इजाफा हो सकता है।