ग्लूकोमा का समय रहते इलाज कराना चाहिए: डॉ. सुनील

PATNA : ग्लूकोमा जागरूकता माह जनवरी में मनाया जाता है. इसी कड़ी में सोमवार को संजीवनी आई हॉस्पिटल एवं रिसर्च इंस्टीटयूट,पटना में विश्व ग्लूकोमा दिवस मनाया गया. इस मौके पर आंखों के प्रेशर का जांच किया गया. इसमें 37 मरीजों के आंखों के प्रेशर का जांच किया गया. पूर्व सचिव, बिहार आप्थाॅल्मोलाॅजिकल सोसाइटी और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार सिंह ने बताया कि इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को काली मोतिया, ग्लूकोमा नाम की बीमारी के लिए जागरूक करना है.
उन्होंने कहा की इस बीमारी में आखों में बनने वाले द्रव्य के बहाव में रुकावट होने के कारण आंखों का प्रेशर बढ़ जाता है. जिससे आंखों की नस सूख जाती है और अंधापन आ जाता है.
उन्होंने कहा की ग्लूकोमा के कई प्रकार होते हैं, जिनमें सबसे आम वृद्धावस्था का मोतियाबिंद है, जो 45 से अधिक आयुवाले लोगों में विकसित होता है. यह रोग अनुवांशिक भी होता है. साथ ही यह समस्या बच्चों में जन्मजात भी हो सकती है. कई बार आपको ग्लूकोमा के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. ऐसे में आपको नियमित जांच से ही आंखों में ग्लूकोमा के बारे में पता चल सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विश्वभर में जितने लोग अपनी आंखों की रोशनी खोते हैं उसकी सबसे बड़ी वजह ग्लूकोमा होता है.