SAWAN SPECIAL: बिहार का यह मंदिर मिनी देवघर के नाम से है प्रसिध्द, महादेव सभी भक्तों की पूरी करते हैं मुराद, जानें मंदिर से जुड़ी कई बातें

BHAGALPUR: नवगछिया पुलिस जिला में प्रसिद्ध मड़वा का बाबा ब्रजलेश्वर महादेव मंदिर में श्रावणी मेला को लेकर भव्य तैयारी हो रही है। जिला प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट की ओर से मंदिर के आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो इसको लेकर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर कोरोना काल के बाद पहली बार श्रावणी मेला पूरी व्यवस्था के साथ मनाया जायेगा। इस दौरान श्रद्धालु के लिए मंदिर में विशेष व्यवस्था रहेगी। चार जुलाई से शुरू होकर इस बार 31 अगस्त तक चलने वाले श्रावणी मेला को लेकर मंदिर पूरी तरह से तैयार है। मंदिर कमेटी के सदस्यों ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह में अलग अलग द्वार से महिला और पुरूषों को प्रवेश कराया जाएगा।
बता दें कि इस बार एक 59 दिवसीय सावन माह में कुल आठ सोमवारी है। पहली सोमवारी 10 जुलाई को है। सावन माह की प्रत्येक रविवार की देरा रात बड़ी संख्या में श्रद्धालु अगुवानी सुल्तानगंज से जल भरकर 40 किमी नंगे पांव पैदल चलकर सोमवार की सुबह मड़वा ब्रजलेश्वर नाथ धाम पहुंचते हैं। मंदिर का 400 साल पुराना इतिहास रहा है। बाबा भोले का यह दरबार लोगों के बीच मिनी देवघर के नाम से प्रख्यात है। मंदिर के बारे में वहां के पुजारी बताते हैं कि सोमवार को बैरागन का दिन होता है। जहां पर की हजारों लोग जल अर्पण करने मंदिर पहुंचते हैं। सुल्तानगंज के अगवानी घाट से जल भरकर 40 किलोमीटर पैदल यात्रा करते वक्त मरवा पहुंचते हैं। सुरक्षा और विधि व्यवस्था के मद्देनजर पुलिस बल व ग्रामीण स्वयंसेवक भी तैनात रहते हैं। उनका कहना है कि यह मनोकामना मंदिर है। यहां पर कोई भक्त खाली नहीं जाता है। बाबा अपने चौखट पर आने वाले हर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। सावन के माह में खासकर विशेष कर जनसैलाब यहां उमड़ जाता है।
जानिए इस मंदिर की कैसे हुई स्थापना
बाबा ब्रजलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ अकाल मौत को भी टाल देते हैं। यह मंदिर की स्थापना क्षेत्र के ही राजा झब्बन सिंह ने जन सहयोग से करवाया था। इस मंदिर के जगह पर पूर्व में जंगल हुआ करता था। जंगल में चरवाहा की गाय हर रोज एक निश्चित स्थान पर अपना सारा दूध बहा देती थी। इसको लेकर आसपास के इलाके में चर्चा हुई तो लोगों ने साहस कर उस जगह को कुदाल से खुदाई की तो वहां शिवलिंग पाया। उसी दिन रात में राजा को महादेव ने सपना दिया कि यहां पर मंदिर का निर्माण होना चाहिए। मंदिर का निर्माण तब से यहां पर हो रखा है। समय-समय पर मंदिर का मेंटेनेंस वही के लोगों के द्वारा किया जाता रहा है।
मंदिर में आए श्रद्धालु राजीव रंजन झा ने कहा कि हम बाबा ब्रजलेश्वर धाम में पिछले 25 सालों से पूजा करते आ रहे है। बाबा से जो भी कुछ कोई मांगता है बाबा उसकी मनोकामना पूरी करते है। बाबा ब्रजलेश्वर धाम मिनी देवघर के नाम से प्रसिद्ध है। क्योंकि यहां 40 किलोमीटर दूर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते है। राजीव कुमार राय, श्रद्धालु ने कहा की यहां सालों साल जबरदस्त मेला लगता है, यहां बहुत भीड़ होता है। बहुत अच्छा व्यवस्था है, पुलिस प्रशासन से लेकर आम पब्लिक का अच्छा व्यवस्था है। यहां पर पुराना शिवलिंग है। हमलोग पिछले 20 साल से यहां पूजा कर रहे है।
मंदिर कमिटी के सदस्य रूपेश कुमार रूप ने कहा कि बाबा ब्रजलेश्वर धाम जो है वो मिनी देवघर के नाम से जाना जाता है, और इसको लेकर बहुत सारी मान्यताएं है। इनका बहुत ही बड़ा महिमा है। जो बाबा के यहां सच्चे मन से मन्नते मांगते है उनकी मुरादे पूरी होती है। सरकार से भी हमलोग चाहेंगे की , सरकार के नजर में यह मंदिर उपेक्षित है इनकी उपेक्षा नहीं होनी चाहिए, जितनी भीड़ होती है यहां सावन में, खासकर सोमवारी में यहां से 40 किलोमीटर दूर अगवानी गंगा घाट है, सुल्तानगंज से लोग यहां जल चढ़ाने आता है। सोमवारी को 50 किलोमीटर का एरिया भीड़ से भरा रहता है।