अब शिवहर पर संग्राम, बागी लवली आनंद ने कहा, निर्दलीय लड़ूंगी चुनाव
 
                    SHEOHAR: महागठबंधन में सीट शेयरिंग तो हो चुका है लेकिन असंतोष अब भी कायम है. एक संग्राम शिवहर सीट को लेकर भी हो रहा है और इसके केंद्र में हैं बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद. हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुई लवली आनंद को शिवहर सीट मिलने की पूरी उम्मीद थी लेकिन शिवहर लोकसभा सीट आरजेडी के खाते में चली गई है. शिवहर सीट आरजेडी के खाते में जाने के बाद लवली आनंद ने बागी तेवर अख्तियार कर लिया है और पहले भी बिहार कांग्रेस के आलाकमान को चेता चुकी थी यदि उन्हे शिवहर से टिकट नहीं मिला तो ये मेरे साथ विश्वासघात होगा. वे शिवहर सीट पर किसी भी समझौते के मूड में नहीं है लेकिन बिहार में कमजोर कांग्रेस आरजेडी के आगे सीटों को लेकर बस बिलबिला कर रह गई.
क्या है शिवहर लोकसभा सीट का समीकरण
2014 में इस सीट से बीजेपी की रमा देवी जीतकर सांसद बनीं. शिवहर क्षेत्र राजपूत बहुल सीट माना जाता है. यहां की सियासत पर राजपूत समाज का खासा प्रभाव है और चुनावी नतीजों में इसका साफ असर दिखता है. इस संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,269,056 है. इसमें 591,390 महिला वोटर और 677,666 पुरुष मतदाता हैं. आपको बता दें 2009 में बीजेपी ने इस सीट से रमा देवी को उतारा. रमा देवी ने 2009 और 2014 के चुनाव में शिवहर लोकसभा सीट से जीत हासिल कर संसद का प्रतिनिधित्व किया.
शिवहर की सियासत बेहद दिलचस्प
शिवहर कहने को तो बिहार का सबसे छोटा जिला है लेकिन उसका इतिहास बेहद बृहद है. शिवहर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जैसी शख्सियतों ने भी किया है. जुगल किशोर सिन्हा को भारत में सहकारी आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता है. उनकी पत्नी राम दुलारी सिन्हा भी स्वतंत्रता सेनानी थीं. वे केंद्रीय मंत्री और गवर्नर भी रही थीं. वे बिहार की पहली महिला पोस्ट ग्रेजुएट थीं. आजादी के बाद देश में जब पहला चुनाव हुआ तो इस सीट का नाम था मुजफ्फरपुर नॉर्थ-वेस्ट सीट. 1953 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जीतकर लोकसभा पहुंचे. 1957 के चुनाव में पुपरी सीट के नाम से यहां लोकसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्विजय नारायण सिंह, 1962 के चुनाव में राम दुलारी सिन्हा, 1967 में एस. पी. साहू और 1971 में हरी किशोर सिंह चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. इसके बाद इस संसदीय सीट का नाम शिवहर हो गया. इमरजेंसी के बाद देशभर में इंदिरा गांधी के खिलाफ नाराजगी थी और इसका असर 1977 के चुनाव में इस सीट पर भी देखने को मिला. जब जनता पार्टी के ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने यहां से चुनाव जीतकर कांग्रेस को धूल चटाई. लेकिन 1980 और 1984 के लोकसभा चुनाव में फिर कांग्रेस के टिकट पर राम दुलारी सिन्हा चुनाव जीतने में कामयाब रहीं. 1989 के चुनाव में जनता दल ने यहां सियासी उलटफेर किया. जनता दल के टिकट पर 1989 और 1991 में हरी किशोर सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे.
शिवहर क्षेत्र का बेताज बादशाह आनंद मोहन
जिस शिवहर ने एक से एक पढ़े लिखे नेताओं को देखा है एक वक्त ऐसा भी आया जब इस इलाके में बाहुबली आनंद मोहन की तूती बोलती थी. वैसे आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आनंद मोहन स्वतंत्रता सेनानी रामबहादुर सिंह के परिवार से आते हैं. एक जमाने में आनंद मोहन को उत्तरी बिहार के कोसी क्षेत्र का बेताज बादशाह कहा जाता था. स्वतंत्रता सेनानी रामबहादुर सिंह के परिवार से आने वाले आनंद मोहन ने 1993 में बिहार पीपुल्स पार्टी की स्थापना की. आनंद मोहन ने 1996 के चुनाव में समता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता और फिर 1998 में ऑल इंडिया राष्ट्रीय जनता पाार्टी के टिकट पर जीत की कहानी दोहराई. लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जी. कृष्णैया की हत्या के लिए लोगों को भड़काने और बढ़ावा देने के आरोपों में बाद में आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा हो गई. आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद भी 1994 में वैशाली लोकसभा सीट के उपचुनाव में जीतकर सांसद बनीं थी. इस बार देखना है निर्दलीय चुनाव लड़ने वाली लवली आनंद शिवहर सीट से संसद का सफर कर पातीं हैं या नहीं.
 
                 
                 
                 
                 
                 
                                         
                                         
                     
                     
                     
                    