'डेडबॉडी फ्रीजर में रखो, शादी के बाद ले जाएंगे' मां की मौत पर बेटों ने कहा

एक बुजुर्ग महिला की मृत्यु के बाद उनके बेटों ने उनका शव लेने से साफ इनकार कर दिया, क्योंकि उनमें से एक के घर पर शादी थी। बेटों का मानना था कि घर में शव आने से अपशकुन होगा।

मां की डेडबॉडी लेने से इनकार बेटों ने कहा 'फ्रीजर में रखो'- फोटो : NEWS 4 NATION AI

एक हृदय विदारक मामला सामने आया है, जहाँ एक बुजुर्ग महिला शोभा देवी की मौत के बाद उनके बेटों ने उनका शव लेने से साफ इनकार कर दिया। महिला की मौत जौनपुर के एक वृद्धाश्रम में इलाज के दौरान हुई थी। शोभा देवी और उनके पति भुआल गुप्ता को करीब एक साल पहले उनके बड़े बेटे ने 'बोझ' कहकर घर से निकाल दिया था, जिसके बाद यह दंपति आत्महत्या करने राजघाट भी पहुंचा था, पर बचाया गया और अंततः उन्हें जौनपुर के वृद्धाश्रम में आश्रय मिला। यह घटना उन दंपत्ति के साथ हुई जिन्हें बेटों ने पहले ही 'बोझ' बताकर घर से निकाल दिया था और वे एक वृद्धाश्रम में जीवन गुजार रहे थे।

शादी का हवाला देकर शव लेने से किया मना

वृद्धाश्रम के हेड रवि कुमार चौबे ने जब शोभा देवी की मौत की सूचना उनके बेटों को दी, तो उन्होंने अंतिम संस्कार में शामिल होने या शव लेने से मना कर दिया। बड़े बेटे के घर में उसके बेटे की शादी थी, इसलिए उसने यह कहकर शव को घर लाने से मना कर दिया कि 'घर में डेडबॉडी आई तो अपशकुन होगा'। इसके बजाय, उसने यह अमानवीय सलाह दी कि शव को 4 दिन के लिए फ्रीजर में रख दिया जाए, ताकि शादी खत्म होने के बाद अंतिम संस्कार किया जा सके। इस जवाब से मृतका के पति भुआल गुप्ता बुरी तरह से टूट गए।

मजबूरी में दफनाना पड़ा शव

बेटियों के कहने पर भुआल गुप्ता अपनी पत्नी का शव लेकर किसी तरह गोरखपुर पहुंचे, लेकिन बड़े बेटे ने फिर भी शव को घर के अंदर लेने से साफ इनकार कर दिया, अपनी बात पर अड़ा रहा कि घर में शादी है। बेटों द्वारा अंतिम संस्कार से मुंह मोड़ने के बाद, भुआल गुप्ता के पास कोई और रास्ता नहीं बचा। अंततः, गांव वालों और रिश्तेदारों ने हस्तक्षेप किया और मजबूर होकर शोभा देवी के शव को कैंपियरगंज में घाट के पास मिट्टी में दफना दिया गया।

अंतिम संस्कार न कर पाने का दर्द

पत्नी के शव को दफनाने के बाद भुआल गुप्ता ने गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वह अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाए। पंडित ने भी उन्हें बताया कि एक बार दफनाने के बाद शव को बाहर निकालकर अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता। इस घटना ने समाज में रिश्तों की संवेदनशीलता और बुजुर्गों के प्रति बच्चों के बदलते व्यवहार पर एक गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।