Abbas Ansari News: जेल से बाहर आने के बाद भी ये काम नहीं कर पाएंगे अब्बास अंसारी, लेनी पड़ेगी इजाजत

Abbas Ansari News: जेल से बाहर आने के बाद भी ये काम नहीं कर पाएंगे अब्बास अंसारी, लेनी पड़ेगी इजाजत

Abbas Ansari News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी को राज्य के गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में छह सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी है। जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने अब्बास अंसारी को लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास में रहने का निर्देश दिया और कहा कि उन्हें मऊ में अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करने से पहले प्राधिकारियों से अनुमति लेनी होगी।


गैंगस्टर अधिनियम से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने से अंसारी की कासगंज जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया है, क्योंकि उन्हें उनके खिलाफ दर्ज अन्य सभी आपराधिक मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है।


बेंच ने अंसारी से कहा कि वह अदालत की पूर्व अनुमति के बिना उत्तर प्रदेश न छोड़ें और अदालतों में पेश होने से एक दिन पहले पुलिस अधिकारियों को सूचित करें। अदालत ने अंसारी द्वारा जमानत शर्तों का पालन करने के संबंध में पुलिस से छह सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट मांगी। इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि अंसारी को चित्रकूट सत्र अदालत में जमानत बांड पेश करने की शर्त पर जेल से रिहा किया जाएगा।


सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गाजीपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद और अब्बास के बड़े पिता, अफजाल अंसारी ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी। इंस्टाग्राम पर उन्होंने लिखा, "अब्बास अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में माननीय उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिली। जल्दी जेल से बाहर आएंगे।" अब्बास अंसारी को अन्य आपराधिक मामलों में चार नवंबर 2022 को हिरासत में लिया गया था, और बाद में 6 सितंबर 2024 को गैंगस्टर अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। बेंच ने कहा कि अंसारी को गैंगस्टर अधिनियम के मामले को छोड़कर सभी आपराधिक मामलों में जमानत मिल चुकी थी।


अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष गैंगस्टर अधिनियम के तहत उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया था, लेकिन पुलिस को यह स्वतंत्रता दी थी कि यदि उनके खिलाफ कोई सबूत हो, तो वह अन्य प्राथमिकी दर्ज कर सकती है। सिब्बल ने यह भी कहा कि इस मामले में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है और केवल पुलिसकर्मी गवाह हैं, जिन्होंने वही कहानी दोहराई है जो हाईकोर्ट द्वारा खारिज की गई प्राथमिकी में दी गई थी।


उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने अंसारी की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि मामले में अभियोजन पक्ष के दो-तीन गवाहों से जिरह होने तक उन्हें कम से कम बाहर आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। बेंच ने इस पर पूछा कि वह कितने समय तक हिरासत में रह सकते हैं। सिब्बल ने कहा कि अंसारी राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज रह चुके हैं। जज सूर्य कांत ने मजाकिया लहजे में कहा, "अपराधी मामले में उनका बखान न करें, अन्यथा इसका कुछ और मतलब हो सकता है।"


31 जनवरी को, अंसारी ने मुठभेड़ के डर से गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में निचली अदालत की कार्यवाही में डिजिटल रूप से पेश होने का आग्रह किया था, लेकिन बाद में यह सुविधा बंद कर दी गई। शीर्ष अदालत ने अंसारी की जमानत याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था और डिजिटल सुनवाई का अनुरोध अस्वीकार कर दिया था। पिछले साल 18 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में अंसारी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।


अंसारी, नवनीत सचान, नियाज अंसारी, फराज खान और शाहबाज आलम खान के खिलाफ उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 की धारा दो और तीन के तहत चित्रकूट जिले के कोतवाली कर्वी थाने में 31 अगस्त 2024 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इन पर जबरन वसूली और मारपीट का आरोप है।

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