Ram Mandir: राम दरबार प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक दिन, सीएम योगी भी बनेंगे साक्षी
अयोध्या: इतिहास में 5 जून का दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। राम मंदिर परिसर में आज राम दरबार और अन्य देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह हो रहा है। इस कार्यक्रम के साक्षी बन रहे हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो इस शुभ अवसर पर मुख्य यजमान की भूमिका निभाएंगे। वे राम दरबार की मूर्ति से आवरण हटाकर ‘नेत्रोमिलन’ की पावन प्रक्रिया को पूरा करेंगे। विशेष बात यह है कि यह दिन उनके 53वें जन्मदिन का भी है, और इस बार वे अपना जन्मदिन प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में मना रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आज अयोध्या पहुंचेंगे और राम मंदिर परिसर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में भाग लेंगे। वे सबसे पहले हनुमान गढ़ी जाएंगे, जहां दर्शन और पूजन करेंगे। इसके बाद वे मणिराम दास की छावनी जाएंगे और वहां महंत नृत्यगोपाल दास के जन्मोत्सव समारोह में भाग लेंगे। इसी दिन वे सरयू महोत्सव का उद्घाटन भी करेंगे और संभवतः नगर निगम के उपलब्धि समारोह में भी शामिल होंगे।
राम मंदिर परिसर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। मंदिर क्षेत्र में विशेष पंडाल सजाया गया है और सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए गए हैं। एसपी सुरक्षा बलरामाचारी दुबे और मंदिर निर्माण प्रभारी गोपाल राव ने व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। बलरामाचारी दुबे ने बताया कि मंदिर को आधुनिक सुरक्षा उपकरणों से लैस किया गया है। यहां एटीएस, सीआरपीएफ, पीएसी और सिविल पुलिस के जवानों की तैनाती कर दी गई है। साथ ही मजिस्ट्रेटों की ड्यूटी भी लगाई गई है ताकि कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हो।
महंत मिथिलेश नंदिनी शरण ने इस अवसर को आध्यात्मिक पुनर्जागरण बताया। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ न केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, बल्कि एक संन्यासी के रूप में उन्होंने राम नगरी को उसका आध्यात्मिक वैभव लौटाया है। आज अयोध्या के लोग अपने ही शहर में रहकर सम्मानजनक व्यवसाय कर रहे हैं, उन्हें अब आजीविका के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता। उन्होंने यह भी कहा कि अब जब गूगल पर "अयोध्या" सर्च करते हैं तो सबसे पहले दीपोत्सव की जगमगाती छवि सामने आती है।
सरयू महोत्सव के आयोजक शशिकांत दास ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या का गौरव वापस दिलाया है। प्रभु श्रीराम को उन्होंने टाट से निकालकर भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित किया। उन्होंने यह भी कहा कि जैसे त्रेतायुग में वशिष्ठ जी ने श्रीराम का राजतिलक किया था, वैसे ही अब योगी महाराज प्रभु श्रीराम के तिलक के प्रतीक बनेंगे। यह क्षण सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अयोध्या के लिए एक नई शुरुआत है।