UP NEWS: हिंदू मुस्लिम एकता का मिशाल बना कानपुर देहात का नर्मदेश्वर महादेव मंदिर, एक ही परिसर में मंदिर-मस्जिद
कानपुर देहात: कानपुर देहात में स्थित एक ऐसा प्राचीन मंदिर है जो आज भी मुगलकाल की यादें ताजा करता है। अकबरपुर कस्बे के ऐतिहासिक शुक्ल तालाब परिसर में बना नर्मदेश्वर महादेव मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का भी अनमोल हिस्सा है।
सावन में उमड़ता है श्रद्धा का सैलाब
सावन का महीना शुरू होते ही इस मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। हर सोमवार यहां विशेष पूजन, जलाभिषेक और भक्ति भाव के साथ भगवान शंकर की आराधना होती है। खासकर अंतिम सोमवार को भव्य श्रृंगार, रुद्राभिषेक और विशाल भंडारे का आयोजन होता है। इस मौके पर भक्त पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हैं, जिससे उनके कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शुक्ल तालाब और मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
शुक्ल तालाब का इतिहास 16वीं शताब्दी से जुड़ा है। बताया जाता है कि जब 1556 में अकबर दिल्ली की गद्दी पर बैठा तो 1563 में उसने अकबरपुर में शीतल शुक्ल को दीवान और नत्थे खां को आमिल नियुक्त किया। उसी दौरान क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा। तब शीतल शुक्ल और नत्थे खां ने सरकारी धन से 1578 में इस तालाब का निर्माण करवाया। अकबर खुद जांच के लिए आया और धन के सही उपयोग से प्रसन्न होकर दोनों अधिकारियों को इनाम भी दिया।
धार्मिक एकता का प्रतीक बना परिसर
शुक्ल तालाब परिसर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी है। जहां एक ओर परिसर में नर्मदेश्वर महादेव मंदिर है, वहीं दूसरी ओर एक पुरानी मस्जिद भी स्थित है। यहां एक ही परिसर में पूजा और नमाज़ का दृश्य देखने को मिलता है। यह सांप्रदायिक सौहार्द का सुंदर उदाहरण है।
मंदिर निर्माण और भगवान महादेव में आस्था
इतिहासकारों के अनुसार, शीतल शुक्ल और उनके परिवार को भगवान शिव में अटूट आस्था थी। इसी वजह से उन्होंने शुक्ल तालाब परिसर में ही नर्मदेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया। उस समय यह जनपद का एकमात्र भव्य और अलग तरह का मंदिर था। समय के साथ लोगों की आस्था बढ़ती गई और मंदिर धार्मिक केंद्र बन गया।
हैरिटेज होटल बनने की तैयारी
अब इस ऐतिहासिक परिसर को और भी भव्य रूप देने की तैयारी चल रही है। योगी सरकार की योजना के तहत इस परिसर को 38 करोड़ रुपये की लागत से संवारा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब इसे हैरिटेज होटल में बदलने की तैयारी है। इससे जहां एक ओर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर कस्बे का विकास भी होगा।
श्रद्धा, संस्कृति और विरासत का संगम
नर्मदेश्वर महादेव मंदिर सिर्फ एक पूजास्थल नहीं, बल्कि श्रद्धा, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का संगम है। सावन में यहां की रौनक देखने लायक होती है, जब दूर-दराज से श्रद्धालु शिवभक्ति में लीन होकर भगवान शंकर का आशीर्वाद लेने आते हैं। स्थानीय लोग भी आयोजन की तैयारी में पूरे मन से जुट जाते हैं। यह मंदिर आज भी उस दौर की याद दिलाता है, जब धर्म, सेवा और सौहार्द एक साथ चलते थे।