UP Politics: सपा का फोकस 2027 विधानसभा चुनाव, पंचायत चुनाव में गुटबंदी से बचने की तैयारी

मेरठ: समाजवादी पार्टी (सपा) में पंचायत चुनाव को लेकर बयानबाजी जारी है, लेकिन पार्टी का असली लक्ष्य 2027 का विधानसभा चुनाव है। सपा 2012 की तरह टिकट बंटवारे की रणनीति अपनाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि दीपावली पर कुछ सीटों पर मजबूत दावेदारों को टिकट का संकेत दिया जा सकता है।


पंचायत चुनाव में गुटबंदी से सावधान

सपा नेताओं का मानना है कि पंचायत चुनाव गांव स्तर पर होते हैं, जहां एक ही पार्टी के कई लोग चुनाव लड़ते हैं। अगर पार्टी किसी एक उम्मीदवार को समर्थन देती है, तो गुटबाजी बढ़ जाती है। इसका सीधा असर विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर पड़ता है। इसी वजह से सपा पंचायत चुनाव में सीधे तौर पर उतरने से बच सकती है।


जिला पंचायत चुनाव पर हो सकता है फैसला

सपा नेता शिवपाल यादव पहले ही कह चुके हैं कि पार्टी पंचायत चुनाव नहीं लड़ेगी। इस पर कुछ सपा कार्यकर्ता सहमत भी हैं। हालांकि, सूत्रों के अनुसार पार्टी ग्राम पंचायत और प्रधान चुनाव से दूर रह सकती है, लेकिन जिला पंचायत सदस्य चुनाव में उतरने पर विचार कर सकती है।


2027 चुनाव के लिए तैयारियां शुरू

पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों के मुताबिक, सपा 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर है। प्रत्याशी चयन पर मंथन शुरू हो चुका है। दीपावली तक कुछ सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जा सकते हैं। नहीं तो बिहार विधानसभा चुनाव के बाद प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हो सकती है। अखिलेश यादव लगातार फीडबैक ले रहे हैं। वे लखनऊ में अलग-अलग समाज के लोगों से मुलाकात कर रहे हैं और जिला पदाधिकारियों व मोर्चा संगठनों से बैठकें कर रहे हैं।


पहले से प्रत्याशी घोषित करने का फायदा

सपा का तर्क है कि उम्मीदवारों के नाम पहले घोषित करने से उन्हें जनता तक पहुंचने और अपना विजन बताने का समय मिलता है। इससे दूसरे दावेदारों के नाराजगी भरे तेवर भी संभाले जा सकते हैं। 2012 में भी सपा ने चुनाव से काफी पहले प्रत्याशियों का ऐलान किया था और बहुमत की सरकार बनाई थी।


पीडीए फॉर्मूले पर जोर

सपा का प्लान है कि 2027 चुनावों में भी वह पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) फार्मूले को आगे बढ़ाए। पार्टी इसे जनता की आवाज के रूप में प्रचारित कर रही है और इसी रणनीति पर जोर दिया जाएगा।