बाबरी मस्जिद के शिलान्यास के बाद हुमायूं कबीर का 'कुरान पाठ' का ऐलान
कोलकाता में हुए गीता पाठ के जवाब में मुर्शिदाबाद में लाखों लोगों के कुरान पाठ का आयोजन करने का ऐलान किया है. कबीर ने रविवार को कोलकाता में पांच लाख लोगों के सामूहिक गीता पाठ आयोजन के जवाब में ये ऐलान किया
तृणमूल कांग्रेस के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद के बेलगांडा में बाबरी मस्जिद का शिलान्यास करने के एक दिन बाद एक और बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में आयोजित किए गए पाँच लाख लोगों के सामूहिक गीता पाठ के जवाब में, मुर्शिदाबाद में एक लाख लोगों के कुरान पाठ का आयोजन कराने की घोषणा की है। भरतपुर के विधायक कबीर ने कहा कि यह आयोजन लाखों लोगों की उपस्थिति में पूरे दिन चलेगा, जिसमें 1 लाख हाफ़िज़ कुरान का पाठ करेंगे और उपस्थित लोगों को भोजन भी कराया जाएगा। इस मौके पर उन्होंने सत्तारूढ़ दल की आलोचना करते हुए कहा कि बीजेपी हिंदुत्व कार्ड खेल रही है और वे इसके जवाब में ज्यादा से ज्यादा मुसलमानों को एकजुट करने के लिए यह पाठ आयोजित कर रहे हैं।
ममता बनर्जी को चुनौती और नई पार्टी बनाने की घोषणा
तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किए जाने के बावजूद, हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद के शिलान्यास कार्यक्रम में हज़ारों लोगों को इकट्ठा किया था और इस अवसर पर उन्होंने पश्चिम बंगाल की राजनीति में अपनी अगली रणनीति भी स्पष्ट की। कबीर ने विधानसभा चुनाव से पहले एक नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सीधी चुनौती दी है। उन्होंने कहा, "बंगाल में 37 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं... मैं उन्हें (ममता बनर्जी को) हराऊंगा। मैं उन्हें भूतपूर्व सीएम बना दूंगा।" कबीर ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अभी विधायक पद से इस्तीफा नहीं देंगे, क्योंकि भरतपुर के लोग चाहते हैं कि वह अपना कार्यकाल पूरा करें, और उन्होंने अपने इस्तीफे के विचार को सिर्फ अपने समर्थकों के लिए छोड़ा है।
अल्पसंख्यक वोटों और राजनीतिक समीकरण पर निशाना
हुमायूं कबीर का यह दोहरा कदम—एक तरफ बाबरी मस्जिद का शिलान्यास और दूसरी तरफ लाखों लोगों के कुरान पाठ का ऐलान—सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक वोट बैंक पर केंद्रित है। उन्होंने ममता बनर्जी पर अल्पसंख्यक समुदाय के ज़्यादातर वोट पाकर मुख्यमंत्री बनने का आरोप लगाते हुए, उन्हें चुनौती देने की मंशा जाहिर की है। कबीर ने बीजेपी द्वारा 'हिंदुत्व कार्ड' खेलने की बात कहकर, अपनी घोषणा को राजनीतिक रूप से 'जवाब' के तौर पर पेश किया है। उनके इन कदमों से आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले मुर्शिदाबाद क्षेत्र और राज्य की राजनीति में नया समीकरण बनने की संभावना है।