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बिहार में नीतीश सरकार लेगी बड़ा फैसला, बेतिया राज की जमीन कब्जे पर केके पाठक के एक्शन पर उठाएगी कदम, जानें पूरा मामला

बेतिया राज की जमीन को सरकारी नियंत्रण में लाने का यह कदम सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। अतिक्रमण हटाना एक कठिन प्रक्रिया है, विशेषकर जब इस पर वर्षों से अवैध कब्जा किया जा रहा हो।

 बिहार में नीतीश सरकार लेगी बड़ा फैसला, बेतिया राज की जमीन कब्जे पर केके पाठक के एक्शन पर उठाएगी कदम, जानें पूरा मामला
बेतिया राज की जमीन पर अतिक्रमण - फोटो : social media

Bettiah raj land: बिहार सरकार ने बेतिया राज की जमीन पर अतिक्रमण को समाप्त करने और इसके प्रबंधन को सुदृढ़ करने के लिए विधेयक लाने का फैसला लिया है। राज्य के राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष केके पाठक ने इस दिशा में कदम उठाते हुए एक आदेश जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि दिसंबर 2024 में विधानसभा के अगले सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा। इस विधेयक का उद्देश्य बेतिया राज की पूरी संपत्ति को राज्य सरकार के अधिकार में लेना है ताकि अतिक्रमण को प्रभावी रूप से हटाया जा सके।


बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण के माध्यम से बेतिया राज की भूमि की पहचान कर अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विधेयक पास होने के बाद इस काम में तेजी आने की उम्मीद है। अधिकारियों का कहना है कि जमीन की पहचान कर उसे सरकारी नियंत्रण में लाने से, इसे कानूनी रूप से सुरक्षित और संगठित तरीके से उपयोग में लाया जा सकेगा।


बेतिया राज की जमीन पर अतिक्रमण और जुड़ी समस्याएं

बेतिया राज की जमीन का कुल क्षेत्रफल 15,358 एकड़ है, जिसमें से 15,215 एकड़ बिहार में और शेष 143 एकड़ उत्तर प्रदेश में स्थित है। बिहार के पश्चिमी चंपारण और पूर्वी चंपारण जिलों में स्थित यह संपत्ति अब 7,960 करोड़ रुपये की अनुमानित कीमत रखती है। लेकिन पिछले कई वर्षों में इस भूमि का अधिकांश हिस्सा अतिक्रमण का शिकार हो चुका है। आंकड़ों के अनुसार, पश्चिमी चंपारण में 66% और पूर्वी चंपारण में 60% भूमि पर अवैध कब्जे हो चुके हैं, जिससे इसका प्रबंधन और सुरक्षा चुनौतीपूर्ण हो गया है।


विधेयक के संभावित प्रभाव

यदि यह विधेयक पास हो जाता है तो बिहार सरकार के पास बेतिया राज की संपत्ति पर पूर्ण नियंत्रण आ जाएगा। इससे न केवल अतिक्रमण हटाने में सहूलियत होगी, बल्कि भूमि का सही और उत्पादक उपयोग भी सुनिश्चित किया जा सकेगा। इससे सरकारी संपत्ति का प्रभावी प्रबंधन संभव होगा और राज्य के विकास में योगदान भी मिल सकता है। इसके साथ ही, सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण रोकने के लिए एक मिसाल भी कायम होगी।


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