Bihar News: परिवहन विभाग ने फर्जीवाड़ा कर रहे सूबे के तीन ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है. लगातार मिल रही शिकायत और एसओपी के अनुसार काम नहीं करने वाले तीन फिटनेस सेंटर जो पटना,भागलपुर और दरभंगा में कार्यरत्त है, उसे तत्काल प्रभाव से बंद करा दिया गया है. परिवहन विभाग के पत्र के बाद एनआईसी ने तीनों ATS की बुकिंग साईट को बंद कर दिया है. न्यूज4नेशन ने 30 अक्टूबर को ही यह खबर बता दिया था कि, परिवहन विभाग सख्त हो गया है. फर्जीवाड़ा कर रहे 3 फिटनेस सेंटर को किसी भी समय बंद किया जा सकता है. अब तीनों ATS के लिए जारी यूजर-आईडी बंद करने का पत्र सामने आ गया है.
परिवहन विभाग ने लिया बड़ा एक्शन
बिहार के परिवहन आयुक्त ने 25 अक्टूबर को ही राज्य सूचना पदाधिकारी को पत्र लिखा था. जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा निर्गत एस. ओ. पी. के अनुसार स्वचालित परीक्षण स्टेशन का संचालन नहीं किया जा रहा है. लिहाजा तीन एटीएस को निर्गत यूजर-आईडी को 24 घंटे में बंद कर दिया जाए. राज्य परिवहन आयुक्त के पत्र में कहा गया है कि एटीएस संचालन को लेकर विभाग के साथ इकरारनामा किया गया था, लेकिन स्वचालित परीक्षण स्टेशन (ATS) इकरारनामा का पालन नहीं कर रहे. तीन ऐसे एटीएस हैं जो एसओपी का पालन नहीं कर रहे. लिहाजा उनका यूजर आईडी जो विभाग की तरफ से निर्गत किया गया था, उसे तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए. इस संबंध में पहले भी निर्देश दिए गए थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था. अब 24 घंटे में तीनों एटीएस को निर्गत यूजर-आईडी को बंद किया जाए. ये एटीएस हैं...कमल कुमार सिंह (पटना), रविरंजन कुमार राजा (दरभंगा) एवं बी.के. कंस्ट्रक्शन (भागलपुर). परिवहन विभाग के पत्र के बाद इन तीनों के यूजर आईडी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है. यूजर-आईडी बंद हो जाने की वजह से अब इन तीनों कमल कुमार सिंह (पटना), रविरंजन कुमार राजा (दरभंगा) एवं बी.के. कंस्ट्रक्शन (भागलपुर) एटीएस पर गाड़ियों की जांच बंद हो गई है.
सड़क परिवहन मंत्रालय की उच्च मानक वाली जांच एजेंसी से जांच हो खुल जाएगी पोल
बताया जाता है कि इन तीनों सेंटरों पर गाड़ियों के जांच को लेकर जो एसओपी बनाए गए हैं, उसका खुल्लम खुल्ला उलंघन किया जा रहा था. नियमों को ताक पर रखकर वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे थे. बताया जाता है कि सेंटर पर बिना गाड़ी भेजे ही, फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिए जा रहे थे. इन सेंटरों पर इस तरह की शिकायत लगातार मिल रही थी. विभागीय सूत्र बताते हैं कि ये सेंटर मानक के अनुरूप नहीं बने हैं. यहां भी घालमेल किया गया है. अगर सड़क परिवहन मंत्रालय भारत सरकार से संबद्ध उच्च मानक वाली (जांच एजेंसी) बिहार में स्थापित तमाम ATS की जांच कर दे, तो अधिकांश स्वचालित परीक्षण केंद्र कसौटी पर खरे नहीं उतरेंगे. क्यों कि सड़क परिवहन मंत्रालय की गाईडलाइ के अनुसार ATS स्थापित ही नहीं किया गए हैं, मशीनों की गुणवत्ता में भी कमी है.
बता दें, गाड़ियों का फिटनेस दुरूस्त करने को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर के स्थापना की व्यवस्था की है. मकसद है, गाड़ियां अगर अच्छी कंडिशन में रहेंगी तो सड़क दुर्घटना में कमी आएगी. इसके लिए सभी राज्यों के परिवहन विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए. इस आलोक में बिहार सरकार ने भी निजी क्षेत्र में ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर खोलने को लेकर विज्ञापन जारी किया. एटीएस की स्थापना के लिए कई जिलों के लिए लाईसेंस भी निर्गत किए गए. इस आधार पर गाड़ियों का फिटनेस जांच स्वचालित मशीन से शुरू भी हुई, ऑनलाइन फिटनेस सर्टिफिकेट भी जारी किए जाने लगे. लेकिन कुछ ही दिनों बाद यहां भी भारी धांधली की शिकायत मिलने लगी है. सूबे के कई फिटनेस जांच केंद्रों ने फिर से वही खेल शुरू कर दिया है. यानि यहां भी पुरानी बात...बिना गाड़ी लाए ही फिटनेस जांच कर ऑनलाईन रिपोर्ट जारी कर दिया जा रहा है. खराब गाड़ियों को भी फिट घोषित कर दिया जा रहा है. ऐसे कई केस परिवहन विभाग के पास पहुंचा है. इसके बाद विभाग ने पटना के एक ,दरभंगा और भागलपुर वाले एटीएस पर कार्रवाई की है. राज्य परिवहन आयुक्त ने लाईसेंस देते समय यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर शिकायत मिली तो नियमानुसार लाईसेंस को रद्द भी किया जा सकता है.
ऑफलाईन की बजाय ऑनलाईन, फिर भी बड़ा खेल
परिवहन विभाग ने मई-जून 2024 से सूबे में ऑटोमैटिक फिटनेस सेंटर को लाईसेंस देना शुरू किया है. इसके बाद गाड़ियों की जांच हाइटेक मशीनों से की जा रही है. सरकार की सोच यह है कि एमवीआइ जो मैनुअल तरीके से गाड़ी को देखकर फिटनेस देते थे, अब मशीन के माध्यम से जांच कर गाड़ियों को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जायेगा. ऐसा होने से सड़क पर फिट गाड़ियां ही चलेगी. गाड़ियों के फिटनेस देने के लिए लगभग 20 से अधिक तरह की जांच मशीनों से होगी और फिटनेस सर्टिफिकेट ऑनलाइन के माध्यम से निकलेगा. इसमें किसी तरह की गड़बड़ी करना मुश्किल होगा और कंडम गाड़ियों पर अंकुश लग पायेगा. लेकिन यह बिहार है. यहां तो पग-पग पर गड़बड़ी है. स्वचालित फिटनेस सेंटर तो स्थापित हो गया, विभाग ने लाईसेंस भी दे दिया, लेकिन यहां भी माफियाओं ने दिमाग लगा दिया. सेंटर पर बिना गाड़ी लाये ही, दूसरे गाड़ी पर नंबर प्लेट चढ़ाकर ऑनलाईन फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिया जा रहा है. ऐसे कई प्रमाण न्यूज4नेशन के भी हाथ लगे हैं. उदाहरण से समझिए...सूबे के एक ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर ने बोलेरो गाड़ी का फिटनेस जांच किया, सर्टिफिकेट में गाड़ी की कई तस्वीर है, उसमें एक तस्वीर स्कॉपियो की भी है. समझिए, खेल को, फिटनेस दिया बोलेरो गाड़ी की और तस्वीर में स्कॉपियो गाड़ी दिख रही है.
सूबे कुछ ऐसे स्वचालित परीक्षण केंद्र हैं, जो आदेश को ठेंगा दिखाते हुए धड़ल्ले से यह धंधा कर रहे हैं. इस खेल में तीन के खिलाफ परिवहन विभाग ने एक्शन लिया है. जानकारी के अनुसार, उड़ीसा के परिवहन विभाग ने भी इस खेल को पकड़ा है, और सड़क परिवहन मंत्रालय को सूचित किया है. जानकार बताते हैं कि उड़ीसा के परिवहन कमिश्नर ने इस संबंध में गाड़ियों की सूची भेजी है, जो बिहार के उक्त स्वचालित फिटनेस सेंटर से फर्जी तरीके से फिटनेस प्रमाण पत्र बनाये गए हैं. यानि गाड़ियां परीक्षण केंद्र पर पहुंची ही नहीं और उसे फिट घोषित कर सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया.