BHAGALPUR - किस्मत पर सरकारी नौकरी का ठप्पा जरूर लग गया लेकिन मिल रहे वेतन ने शर्मिंदा होने पर मजबूर कर दिया है, ढाई साल का वक्त बीत गया है लेकिन कहानी दर्द में डूबती जा रही है, आलम यह है कि दिन विद्यालय में गुजरता है फिर आधी रात तक सड़क पर फूड डिलीवरी बॉय का काम करने पर मजबूर हैं। जब सरकारी नौकरी लगी थी तो खुशी से झूम उठे थे और अब सैलरी इतनी कम है कि परिवार बढ़ाने से भी डर लग रहा है। सुनकर बेहद ताज्जुब लग रहा होगा की क्या कोई सरकारी शिक्षक होते हुए इतना मजबूर हो सकता है? इसका जवाब है हाँ.. और इसकी बानगी शारारिक शिक्षक अमित अपनी दिनचर्या से पेश कर रहे हैं।
सिर्फ आठ हजार वेतनमान
यह कहानी है बिहार के भागलपुर जिले के एक सरकारी शारीरिक शिक्षक अमित की, जिन्हें केवल 8 हज़ार रुपये वेतन के तौर पर प्रति माह सरकार के द्वारा दिया जाता है, और इतने पैसे में शादीशुदा सरकारी शिक्षक अमित अपना परिवार चलाने में खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं ऐसे में उन्होंने कैसा कदम उठाया जिसकी सराहना की जा रही है।
समाज की नहीं की परवाह
दरअसल अमित ने "लोग क्या कहेंगे" इस बात को दरकिनार करते हुए निजी कंपनी के साथ जुड़कर फूड डिलीवरी बॉय का काम करना शुरू कर दिया, पिछले 4 महीने से वह यह काम कर रहे हैं, अपने शिक्षक धर्म को निभाते हुए अमित दिन का वक्त जिले के मध्य विद्यालय बाबूपुर में बच्चों के बीच गुजारते हैं और शाम के 5 बजे से मध्य रात्रि तक लोगों के घर-घर जाकर उनकी पसंद का खाना पहुंचाने का काम करते हैं।
नौकरी लगने पर हुई थी शादी
शिक्षक अमित से बात करने पर उन्होंने बताया कि लंबे इंतजार के बाद 2022 में हमारी सरकारी नौकरी लगी, परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई, 2019 में हमनें एग्जाम दिया था, फरवरी 2020 में रिजल्ट आया और हम पास कर गए, 100 में 74 नंबर आया मुझे काफी खुशी हुई परिवार ने भी सोचा चलो सरकारी नौकरी लग गई है, पहले प्राइवेट स्कूल में काम भी कर रहा था, कोरोना शुरू हो गया हमारी नौकरी रोक दी गई ढाई साल के बाद हमें नौकरी मिली, लेकिन वेतन सिर्फ 8 हज़ार ही रखा गया, अंशकालिक का टैग लगा दिया गया, मतलब स्कूल में ज्यादा देर नहीं रहना है, शुरू में हम लोगों ने फुल टाइम काम किया बच्चों को प्रेरित किया ताकि वह खेल में भाग ले बच्चों ने रुचि दिखाई और मेडल भी जीता, लेकिन ढाई साल बीतने के बाद भी हम लोगों का सरकार वेतन नहीं बढ़ा रही है न ही पात्रता परीक्षा ले रही है ऐसे में हम लोगों का जीवन मुश्किल में है। विद्यालय में पूर्व के शिक्षकों को 42 हज़ार वेतन मिल रहा है और हमें केवल 8 हज़ार।
पत्नी के कहने पर शुरू किया फूड डिलिवरी का काम
आगे अमित ने बताया कि फरवरी के बाद 4 महीने तक वेतन नहीं मिला दोस्तों से कर्ज लिया कर्ज बढ़ता जा रहा था, फिर मैंने पत्नी के कहने पर इंटरनेट पर सर्च किया तो मालूम पड़ा की फूड डिलीवरी बॉय का काम किया जा सकता है इसमें समय की कोई सीमा नहीं है। तो मैंने इसपर आईडी बनाई और काम शुरू कर दिया, स्कूल से लौटने के बाद 5 बजे शाम से लेकर रात के 1 बजे तक मैं जोमैटो में फूड डिलीवरी बॉय का काम करता हूं।
पैसे कम होने के कारण नहीं बढ़ाया परिवार
8 हज़ार वेतन के कारण मैं अपना परिवार भी नहीं बढ़ा पा रहा हूं, मैं सोचता हूं जब खुद को खाने के लिए पूरा नहीं हो पा रहा है तो अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या खिलाऊंगा, नौकरी लगने के समय ही मेरी ढाई साल पहले शादी भी हुई थी। मैं घर का बड़ा बेटा हूं मुझे घर पर ही रहना है बूढी मां की देखभाल भी करनी है इसलिए यह काम करने को मजबूर हूं।
रिपोर्ट - अंजनी कुमार कश्यप