शिक्षा विभाग का ' गजब घोटाला': 2020 में हुई बहाली, मिल गया 2014 का पैसा! अमौर के कॉलेज में अनुदान राशि की बंदरबांट, विभाग में मचा हड़कंप

bihar Education -2020 में बहाल शिक्षक को 2014 के फंड से भुगतान किया गया। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने मामले को गंभीरता से लेते हुए SDM को जांच का जिम्मा सौंपा है।

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Purnia - पूर्णिया में सरकारी अनुदान की राशि में गड़बड़झाले का मामला सामने आया है। मामला अमौर के किसान इंटर कॉलेज पहड़िया से जुड़ा है। कॉलेज की प्रबंधन समिति पर शिक्षकों ने गंभीर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए हैं। आरोप है कि सरकारी अनुदान की राशि का वितरण नियमों को दरकिनार कर किया गया और योग्य शिक्षकों के साथ भेदभाव हुआ।

शिक्षकों ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के शैक्षणिक निदेशक को भेजे गए पत्र में बताया है कि सत्र 2013–15 और 2014–16 के दौरान प्राप्त अनुदान की राशि का समानुपातिक वितरण नहीं हुआ। पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि कुछ ऐसे लोगों को भी भुगतान किया गया, जो उस समय कॉलेज में कार्यरत ही नहीं थे, जबकि आंतरिक स्रोत से मिलने वाली राशि का वितरण बेहद कम किया गया। मामले को गंभीरता से लेते हुए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के शैक्षणिक निदेशक ने पूरे प्रकरण की जांच के लिए अनुमंडल पदाधिकारी, बायसी को पत्र भेजा है।

शिक्षकों का आरोप है कि वर्ष 2014–16 की अनुदान राशि से मो. राहत इकबाल को 78 हजार रुपये का भुगतान किया गया, जबकि उनकी नियुक्ति कॉलेज में वर्ष 2020 में हुई थी। इसी तरह सत्र 2013–15 में मो. शमीम अख्तर अकबरी को 2 लाख 45 हजार 400 रुपये का भुगतान किया गया, जबकि वरिष्ठ शिक्षक कैलाश सिंह को केवल 1 लाख 70 हजार रुपये ही दिए गए।

हटाए गए प्रिंसिपल मो. शफी आजम ने आरोप लगाया कि प्रबंधन समिति के अध्यक्ष की मनमानी के कारण उन्हें जानबूझकर फंसाया गया। उनका कहना है कि अध्यक्ष के निर्देशों के अनुसार काम न करने पर किसी न किसी अनियमितता का आरोप लगाकर कार्रवाई की जाती है।

वहीं, प्रबंधन समिति के अध्यक्ष शफीक आलम रब्बानी ने सभी आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि अनुदान राशि का भुगतान प्रिंसिपल और वरिष्ठ शिक्षकों की संयुक्त सहमति से होता है और सभी भुगतान नियमानुसार किए गए हैं। अध्यक्ष ने ये भी स्पष्ट किया कि कॉलेज में उनके किसी भी रिश्तेदार की नियुक्ति नहीं है और केवल कार्यरत शिक्षकों को ही अनुदान दिया गया है।