Patna highcourt - हादसे में जान गंवाने वाली सरकारी महिला डॉक्टर के परिवार को मिलनेवाले मुआवजे पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, बीमा कंपनी को दिया इतनी राशि देने का निर्देश

Patna highcourt - सड़क हादसे में सरकारी महिला डॉक्टर की मौत पर मिलनेवाले मुआवजे की राशि पर हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी को बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने नए सिरे से मुआवजे की राशि तय की है और कंपनी को भुगतान करने के लिए कहा है।

Patna highcourt - हादसे में जान गंवाने वाली सरकारी महिला डॉक
मुआवजे पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- फोटो : NEWS4NATION

Patna - पटना हाईकोर्ट ने बहुचर्चित मोटर वाहन दुर्घटना मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है।जस्टिस रमेश चंद मालवीय ने डॉक्टर प्रीति सिंघानिया की सड़क दुर्घटना में हुई मृत्यु के बाद उनके पति और दो नाबालिग बेटियों को मुआवजा दिए जाने की निचली अदालत के फैसले को आंशिक रूप से संशोधित किया। कोर्ट ने  मुआवजा राशि को ₹95,52,620/- से घटाकर ₹93,14,550/- निर्धारित किया है। यह मामला 19 मई, 2011 को भागलपुर से अमरपुर जाते समय एक बस और मारुति कार के बीच हुई टक्कर से जुड़ा है।

 इस कार में सवार डॉक्टर प्रीति सिंघानिया और उनके ड्राइवर की गंभीर रूप से घायल होने के बाद मृत्यु हो गई थी। मृतका सरकारी अस्पताल में गायनेकोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत थी। साथ ही निजी प्रैक्टिस से भी आय अर्जित कर रही थीं।  उनके पति डॉ. अमर कुमार और दो बेटियों ने मोटर वाहन दावा न्यायाधिकरण में मुआवजा के लिए याचिका दायर की थी।

कोर्ट ने यह माना कि मृतका की वार्षिक आय सरकारी वेतन और निजी प्रैक्टिस से कुल ₹9,31,454/- थी, और उम्र 39 वर्ष होने के कारण 15 का गुणक लागू करते हुए कुल क्षतिपूर्ति ₹93,14,550/- तय की गई।  बीमा कंपनी ICICI लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस द्वारा अपील में यह तर्क दिया गया कि मृतका के पति स्वयं डॉक्टर हैं और इसलिए वे आश्रित नहीं माने जा सकते। इस पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि कानूनी प्रतिनिधि के तौर पर पति भी मुआवजा पाने के हकदार हैं, भले ही वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हों।

Nsmch

कोर्ट ने यह भी कहा कि निजी प्रैक्टिस से हुई आय को आयकर रिटर्न के आधार पर प्रमाणित किया गया है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। वहीं, बीमा कंपनी द्वारा यह तर्क कि बस का चालक योग्य नहीं था, को भी अदालत ने खारिज कर दिया ।कोर्ट ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह संशोधित राशि का भुगतान दो महीने के भीतर पीड़ित परिवार को करे।