N4N DESK - इंजीनियरिंग कॉलेज के 12 कर्मियों ने राष्ट्रपति को लेटर लिखकर इच्छा मृत्यू की मांग की है। इनमें प्रोफेसर और कर्मचारी भी शामिल हैं। इनकी इच्छा मृत्यू का कारण कोई बीमारी नहीं, बल्कि राज्य सरकार की नाकाम व्यवस्था है, जिसके कारण 33 महीने से इन कर्मियों को वेतन नहीं मिला है। जिससे परेशान होकर इन कर्मियों ने अब राष्ट्रपति को लेटर लिखा है।
यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ से जुड़ा है। जहां रायगढ़ जिले के एक मात्र अर्धशासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज केआईटी में 70 प्रोफेसर व अन्य कर्मचारियों को पिछले 33 माह से वेतन नहीं मिल रहा है। वेतन नहीं मिलने के कारण अब इनके सामने भूखे मरने की स्थिति निर्मित हो गई है। अपनी समस्याओं को लेकर जिले के विधायक व वित्त मंत्री से लेकर डिप्टी सीएम व सीएम तक जा चुके हैं, लेकिन हर बार आश्वासन मिलता है और आश्वासन के बाद फिर शासन मौन हो जाती है।
बंद हो चुका है एडमिशन
इस कॉलेज में बहुत पहले एडमिशन बंद हो चुका है। लेकिन पूर्व में एडमिशन ले चुके छात्रों का अध्यापन चल रहा है। इसके कारण यहां कार्यरत कर्मचारी व प्रोफेसर की जाना मजबूरी होती है। यहां कार्यरत 70 कर्मचारी शासन के आश्वासन पर पिछले 2 साल से बीच मझधार में फंसे हुए हैं। न तो यहां के कर्मचारियों को वेतन मिल रहा है न ही यह कर्मचारी यहां से नौकरी छोड़कर दूसरे जगह में जा पा रहे हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो बीच कर्मचारी फंसे हुए महसूस कर रहे हैं।
कर्मचारियों ने लिखा राष्ट्रपति को लेटर
वेतन नहीं मिलने से परेशान होकर एक कर्मचारी ने पूर्व में इच्छामृत्यु की मांग की थी। जो अब बढ़कर 12 हो गई है। में तृतीय और चतुर्थ वर्ग के इन कर्मचारियों ने सामुहिक रूप से राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। इसके बाद भी शासन और प्रशासन में केआईटी के कर्मचारियों के लंबित वेतन को लेकर किसी प्रकार का पहल नहीं की।
नई सरकार भी नहीं कर पाई
इन कर्मचारियों का वेतन तब मिलना बंद हुआ, जब प्रदेश के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री खरसिया विधायक उमेश पटेल थे। लेकिन केआईटी के कर्मचारियों का भला नहीं हो पाया। नई सरकार को लेकर कर्मचारियों को उम्मीद जागी थी, लेकिन नई सरकार के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी इस दिशा में किसी प्रकार का पहल नहीं की गई। ऐसे में उनकी स्थिति सरकार बदलने के बाद भी जस की तस है।
क्या कहता है प्रबंधन
इस मामले को लेकर जब यहां के प्रभारी प्राचार्य जीके अग्रवाल से संपर्क किया गया तो उनके मोबाईल पर घंटी बजती रही, लेकिन वे रिसीव नहीं किए। वहीं प्रबंधन से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि कॉलेज की समस्याएं व कर्मचारियों की मांग को संचालक मंडल के सामने रखा गया है। संचालक मंडल के निर्णय के आधार पर आगे का कार्य होगा।