अलविदा मनरेगा! अब VB-GRAM-G से बदलेगी गांव की तस्वीर, जानिए क्या है मोदी सरकार का नया बिल
केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में बड़ा बदलाव करने जा रही है। सरकार मनरेगा की जगह एक नया विधेयक 'विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)' पेश करने की तैयारी में है।
New Delhi - संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार लोकसभा में एक ऐतिहासिक और अहम विधेयक पेश करने जा रही है। यह नया बिल मौजूदा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) का स्थान लेगा। इस विधेयक के महत्व को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सभी सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है और उन्हें 15 से 19 दिसंबर तक लोकसभा की कार्यवाही में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
क्या है VB-GRAM-G?
केंद्र सरकार जिस नए कानून को लाने की तैयारी कर रही है, उसका पूरा नाम 'विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)' है। आसान भाषा में इसे VB-GRAM-G के नाम से जाना जाएगा। विधेयक में कहा गया है कि पिछले 20 वर्षों में मनरेगा ने ग्रामीण परिवारों को रोजगार देने में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन अब गांवों में हुए सामाजिक-आर्थिक बदलावों को देखते हुए कानून को और अधिक सशक्त और प्रासंगिक बनाने की आवश्यकता है।
100 नहीं, अब मिलेंगे 125 दिन रोजगार
इस नए कानून का सबसे बड़ा आकर्षण रोजगार के दिनों में बढ़ोतरी है।
पुराना नियम: मनरेगा के तहत अब तक ग्रामीण इलाकों में हर परिवार को साल में 100 दिनों के काम की कानूनी गारंटी मिलती थी।
नया प्रस्ताव: नए बिल (VB-GRAM-G) के तहत इस सीमा को बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रस्ताव है। यानी अब अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हर ग्रामीण परिवार को साल में 25 दिन अतिरिक्त रोजगार मिलेगा।
विकसित भारत 2047 का लक्ष्य
सरकार के अनुसार, इस बिल का मुख्य उद्देश्य 'विकसित भारत 2047' के विजन को पूरा करना है। इसका मकसद गांवों का समग्र विकास सुनिश्चित करना है। नए प्रावधानों के मुताबिक, इस योजना में राज्य सरकारों द्वारा खर्च की हिस्सेदारी भी बढ़ाई जाएगी। मनरेगा पिछले दो दशकों में गेम-चेंजर साबित हुई थी, और अब सरकार का मानना है कि बदलती परिस्थितियों के साथ इस योजना को अपग्रेड करना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी का काम करेगा।