India Census 2027: डिजिटल सेंसस से रोजगार और नीति तक का प्लान तैयार, प्रति व्यक्ति गणना पर आएगा 97 रुपए खर्च, जनगणना से तय होगा विकास और राजनीति का रोडमैप, मोदी सरकार का ये है बड़ा सियासी दांव
India Census 2027: 2027 में पहली बार देश की जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। 11,718 करोड़ रुपए की मंजूरी के साथ सरकार ने यह साफ कर दिया है कि अब आंकड़ों की दुनिया भी काग़ज़ से निकलकर टैबलेट और क्लाउड में दर्ज होगी।
India Census 2027: केंद्र सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में ऐसे फैसलों पर मुहर लगाई, जो आने वाले वर्षों की सियासत, अर्थव्यवस्था और समाज की तस्वीर बदलने की क्षमता रखते हैं। 2027 में पहली बार देश की जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। 11,718 करोड़ रुपए की मंजूरी के साथ सरकार ने यह साफ कर दिया है कि अब आंकड़ों की दुनिया भी काग़ज़ से निकलकर टैबलेट और क्लाउड में दर्ज होगी। औसतन एक भारतीय की गिनती पर 80 से 97 रुपए खर्च होंगे, लेकिन सरकार इसे खर्च नहीं, बल्कि भविष्य में निवेश मान रही है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक 30 लाख कर्मचारी CaaS सॉफ्टवेयर के जरिए यह ऐतिहासिक काम करेंगे। दो चरणों में होने वाली इस जनगणना में हर घर का GPS-आधारित डिजिटल रिकॉर्ड बनेगा। भाषा, शिक्षा, डिजिटल एक्सेस और महिलाओं के शिक्षा-रोज़गार जैसे आंकड़े सीधे सिस्टम में दर्ज होंगे। आधार नंबर देने का विकल्प भी होगा। यानी डेटा की यह कवायद सिर्फ गिनती नहीं, बल्कि पॉलिसी मेकिंग की रीढ़ बनेगी। सियासी हलकों में इसे 2029 से पहले “डेटा-ड्रिवन गवर्नेंस” की नींव के तौर पर देखा जा रहा है।
इसी कैबिनेट बैठक में शिक्षा सेक्टर में भी बड़ा सर्जिकल स्ट्राइक किया गया। यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई की जगह अब एक सिंगल रेगुलेटर होगा ‘विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण’। नई संस्था नियमन, मान्यता और पेशेवर मानकों को तय करेगी। फंडिंग इसके दायरे से बाहर रहेगी, लेकिन उच्च शिक्षा की दिशा तय करने में इसकी भूमिका निर्णायक होगी। सरकार का दावा है कि यह सुधार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की रूह के मुताबिक है, जबकि विपक्ष इसे “केंद्रीकरण की साजिश” बता सकता है।
किसानों के लिए भी राहत का पैकेज आया है। 2026 सीजन के लिए कोपरा का MSP बढ़ाकर मिलिंग कोपरा के लिए 12,027 और बॉल कोपरा के लिए 12,500 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। यह बढ़ोतरी नारियल उत्पादक राज्यों में सरकार की सियासी पकड़ मजबूत करने की कोशिश मानी जा रही है।
ग्रामीण भारत के लिए सबसे बड़ा ऐलान मनरेगा से जुड़ा है। सूत्रों के मुताबिक इसका नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोज़गार योजना’ किया जाएगा और काम के दिन 100 से बढ़ाकर 125 होंगे। यह फैसला गांवों में रोज़गार और सरकार की सामाजिक प्रतिबद्धता का संदेश देता है।वहीं, इंश्योरेंस सेक्टर में FDI की लिमिट 100% करने का फैसला आर्थिक मोर्चे पर बड़ा दांव है। सरकार इसे निवेश, प्रतिस्पर्धा और रोज़गार बढ़ाने का जरिया बता रही है।कुल मिलाकर, कैबिनेट के ये फैसले बताते हैं कि सरकार एक साथ डेटा, शिक्षा, किसान, मज़दूर और निवेश सब मोर्चों पर चाल चल रही है। सियासी ज़ुबान में कहें तो यह सिर्फ नीतियों का ऐलान नहीं, बल्कि ‘विकसित भारत’ की ओर बढ़ते कदमों का एलानिया नक्शा है।