PM Modi on Vande Mataram: संसद में वंदे मातरम पर संग्राम, पीएम मोदी का कांग्रेस पर निशाना, 150 सालों की गाथा

PM Modi on Vande Mataram: भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आज संसद में एक विशेष चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। ...

PM Modi on Vande Mataram
संसद में वंदे मातरम पर संग्राम- फोटो : social Media

PM Modi on Vande Mataram: भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर सोमवार को लोकसभा में एक विशेष चर्चा की शुरुआत हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरुआत की। इस मौके पर पीएम मोदी ने अंग्रेजों के भारत में साम्राज्य स्थापित करने की रणनीति पर बात की और कहा कि उन्होंने भारत को बांटने के लिए पश्चिम बंगाल को चुना। उनका कहना था कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों को यह अहसास हो गया था कि भारत में उनका शासन बनाए रखना अब मुश्किल होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अंग्रेजों ने यह समझ लिया था कि जब तक वे भारत को टुकड़ों में नहीं बांटेंगे, और लोगों को आपस में लड़ाएंगे नहीं, तब तक उनका राज कायम रखना कठिन होगा। इस रणनीति के तहत उन्होंने बंगाल को अपनी प्रयोगशाला बनाया।

पीएम मोदी ने विस्तार से बताया कि बंगाल उस समय भारतीय समाज और संस्कृति का बौद्धिक केंद्र था, जो पूरे देश को दिशा, ताकत और प्रेरणा देता था। अंग्रेजों ने यह महसूस किया था कि बंगाल का सामर्थ्य देश की शक्ति का एक अहम केंद्र है, और इसलिए उन्होंने बंगाल के विभाजन की दिशा में कदम बढ़ाया।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों का मानना था कि यदि बंगाल टूट जाएगा, तो भारत भी टूट जाएगा। 1905 में बंगाल का विभाजन किया गया, लेकिन तब वंदे मातरम् चट्टान की तरह खड़ा रहा। यह गीत बंगाल की एकता का प्रतीक बन गया और गली-गली में गूंजने लगा।पीएम मोदी ने यह भी कहा कि वंदे मातरम् ने उस समय एक मजबूत और स्वदेशी आंदोलन को जन्म दिया था, जिसने अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय एकता और प्रतिरोध की भावना को प्रबल किया। उन्होंने इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक निर्णायक नारे के रूप में प्रस्तुत किया, जो अंग्रेजों के लिए चुनौती बन गया और पूरे देश में गूंजता रहा।

इस बहस के लिए संसद में 10 घंटे का समय आवंटित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में इसकी शुरुआत की ।संसद में  पीएम मोदी ने वंदे मातरम के महत्व को स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि जब 1905 में ब्रिटिश साम्राज्य ने बंगाल का विभाजन किया, तब वंदे मातरम ने भारतीयों में एकजुटता की भावना को मजबूत किया। यह गीत उन वीरांगनाओं और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया जिन्होंने विभाजन के खिलाफ संघर्ष किया। मोदी ने कहा कि वंदे मातरम न केवल एक गीत था, बल्कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक चट्टान के रूप में खड़ा रहा, जो ब्रिटिश साम्राज्य के लिए चुनौती बन गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुलामी की हताशा को दूर करने के लिए बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने इस गीत की रचना की, जो भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के बीच उत्साह और जोश का संचार करता था।" उन्होंने इसे भारतीयता के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया और कहा कि वंदे मातरम "माता भूमि पुत्रो अहं पृथिव्या" के आदर्शों को अभिव्यक्त करता है, जो भारतीय संस्कृति और इतिहास की गहरी जड़ों से जुड़ा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने से ही वंदे मातरम को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधना शुरू किया था। उनका कहना है कि 1937 में कांग्रेस ने वंदे मातरम के कुछ हिस्सों को हटाकर भारतीय समाज में विभाजन की नींव रखी। उन्होंने इसे कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति करार दिया। पीएम मोदी का यह आरोप है कि वंदे मातरम के इस रूपांतरण से भारतीय समाज में एकता की भावना को चोट पहुंचाई गई। उनका कहना था कि यह कदम कांग्रेस के विभाजनकारी एजेंडे का हिस्सा था, जो आज भी उसके राजनीतिक कार्यकलापों में झलकता है।

विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर कई सवाल उठाए हैं, और यह बहस अब न केवल राष्ट्रगीत की ऐतिहासिकता पर होगी, बल्कि कांग्रेस के 1937 के फैसले और उसकी राजनीतिक नीतियों पर भी सवाल खड़े होंगे। संसद में आज इस पर बहस के दौरान, निश्चित रूप से दोनों पक्ष एक-दूसरे पर करारे प्रहार करते नजर आए।