Pune couple suicide love story: कैंसर से जूझ रहे पति की हालत बर्दाशत नहीं कर सकी पत्नी, मोबाइल पर लगाया स्टेटस, फिर नदी में कूद कर दे दी जान, एक ही चिता पर जली दोनों की लाश
पुणे के आळंदी में एक बुजुर्ग दंपती की प्रेम से जुड़ी दर्दनाक घटना सामने आई। पति की कैंसर से मौत के बाद पत्नी ने इंद्रायणी नदी में कूदकर जान दे दी। जानिए इस मार्मिक कहानी की पूरी सच्चाई।

Pune couple suicide love story:पुणे के आळंदी में घटित यह घटना केवल एक आत्महत्या नहीं, बल्कि एक ऐसे प्रेम का प्रतीक बन गई है, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। गंगाधर चक्रावार (65) और उनकी पत्नी गंगाणी उर्फ मंगल चक्रावार (55) की प्रेम कथा का अंत ऐसा हुआ जिसने हजारों लोगों की आंखें नम कर दीं। गंगाधर कैंसर से जूझ रहे थे, और जब उनकी पत्नी को यह अहसास हुआ कि उनका जीवनसाथी अब कुछ ही पलों का मेहमान है, तो उन्होंने अपने जीवन को भी उन्हीं की सांसों से जोड़ दिया।
घटना की शुरुआत: कैंसर ने जीवन को छीन लिया
दंपती मूल रूप से नांदेड के चौफाला क्षेत्र से थे और पिछले पांच वर्षों से पुणे के आळंदी में बस गए थे। दोनों ज्ञानेश्वर माऊली मंदिर में नियमित सेवा किया करते थे। इस धार्मिक सेवाभाव के चलते वे समाज में श्रद्धा का केंद्र बन चुके थे।कुछ समय पहले गंगाधर को कैंसर होने का पता चला और वे पुणे के एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहे थे। लेकिन डॉक्टरों ने कह दिया था कि अब ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता।
अंतिम यात्रा: देव दर्शन और फिर नदी में छलांग
रविवार की सुबह गंगाणी ने कहा कि वे ज्ञानेश्वर माऊली के दर्शन के लिए मंदिर जा रही हैं। उनके चेहरे पर कोई भय या शोक नहीं था बस एक शांति थी।मंदिर में दर्शन करने के बाद उन्होंने इंद्रायणी नदी की ओर रुख किया और वहां जाकर कूदकर अपनी जान दे दी। यह कोई क्षणिक आवेग नहीं था, क्योंकि उन्होंने अपने मोबाइल स्टेटस में पहले ही लिखा कि मैं देव दर्शन के लिए जा रही हूं। यह एक संकेत था शायद अपने बच्चों और दुनिया के लिए।
एक ही चिता पर अंतिम संस्कार: लोगों की आंखें नम
गंगाधर ने उसी दिन घर पर ही अपनी अंतिम सांस ली। पत्नी की आत्महत्या और पति की मौत की खबर मिलते ही बच्चों और स्थानीय लोगों में शोक की लहर दौड़ गई।रविवार को आळंदी के इंद्रायणी नदी किनारे एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। यह दृश्य न सिर्फ दिल को छू लेने वाला था, बल्कि प्रेम और साथ जीने-मरने की कसमें निभाने की मिसाल भी था।
समाज की प्रतिक्रिया: “साथ जिए, साथ चले गए”
स्थानीय लोगों ने दंपती को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे सच्चे अर्थों में जीवन साथी थे। जो हमेशा साथ रहे, साथ हँसे, साथ सेवा की और आखिरकार एक साथ दुनिया छोड़ गए।यह घटना एक प्रेम गाथा बन गई है, जो वर्षों तक पुणे और महाराष्ट्र के लोगों के दिलों में जीवित रहेगी।