Delhi blast: लाल किले के बाहर धमाका और फारिदाबाद के विस्फोटक-जाल का सिलसिला, राजधानी में दहशत, नेटवर्क पर सियासी व खुफ़िया तफ्तीश तेज, टूटेगा इंजीनियर, डॉक्टर, आईटी एक्सपर्ट का आतंकी जाल!
Delhi blast: सुरक्षा एजेंसियों के शुरुआती सुराग यह इशारा कर रहे हैं कि इस धमाके के कई तार फरीदाबाद में पकड़े गए विस्फोटक संग्रह से जुड़ रहे हैं।
Delhi blast: दिल्ली के लालक़िला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर की शाम हुए जोरदार ब्लास्ट में अब तक 9 लोगों की मौत और 24 से ज़्यादा घायल होने की खबर ने राजधानी को फिर एक बार हिलाकर रख दिया दर्द, ख़ौफ़ और सवालों का माहौल है। पुलिस के अनुसार जिस कार में धमाका हुआ उसमें 3 लोग थे। कार हरियाणा के गुरुग्राम में सलमान की है पुलिस ने सलमान को गिरफ्तार कर लिया है। सलमान के अनुसार उसने कार पुलवामा के तारिक को बेची थी। पुलिस तारिक की तलाश कर रही है।
सुरक्षा एजेंसियों के शुरुआती सुराग यह इशारा कर रहे हैं कि इस धमाके के कई तार फरीदाबाद में पकड़े गए विस्फोटक संग्रह से जुड़ रहे हैं। हरियाणा के धौज में जम्मू-कश्मीर पुलिस और सहायक टीमें एक संयुक्त ऑपरेशन में पहुँचीं और एक मकान से 360 किलोग्राम के लगभग संदिग्ध विस्फोटक (अमोनियम नाइट्रेट) तथा असॉल्ट राइफल, कारतूस बरामद किए जाने की जानकारी मिली। इस छापे में कुछ लोगों की भी हिरासत की खबर सामने आई है।
उसके ठीक बाद फतेहपुर तगा गांव से एक और बड़े ज़खीरे का खुलासा हुआ यहाँ से लगभग 2,563 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद करने की सूचना भी आई है, जिससे खुफ़िया एजेंसियों की चिंता और बढ़ गई है कि यदि यह सामग्री किसी ख़राब मक़सद के लिए इस्तेमाल होती तो जान-माल का भारी नुक़सान हो सकता था।
इन पकड़े गए सामानों के बारे में शुरुआती विश्लेषण में कहा जा रहा है कि यह RDX नहीं, बल्कि अमोनियम नाइट्रेट जैसा ऑक्सी़डाइज़र है पर मात्रा और संयोजन के हिसाब से यह भी बहुत घातक बन सकता है। एजेंसियाँ यह सुनिश्चित करने में जुटी हैं कि क्या यही पदार्थ लालक़िले पर हुए ब्लास्ट के स्रोत से जुड़े हैं या नहीं।
हाई-प्रोफ़ाइल और तकनीकी तौर पर संगठित नेटवर्क की तरफ इशारा करती एक चिंता यह है कि अब जिन लोगों के ठिकानों पर हथियार और विस्फोटक मिले हैं, उनमें कुछ डॉक्टर, प्रोफेशनल और उच्च शिक्षा हासिल लोग भी शामिल बताए जा रहे हैं। पिछले वर्षों के कुछ मामलों में भी ऐसे पेशेवरों के शामिल होने का रिकॉर्ड रहा है और यही वजह है कि सुरक्षा एजेंसियाँ अब पारंपरिक परीकल्पना से हटकर नए तरह के नेटवर्किंग और डिजिटल ट्रेल पर काम कर रही हैं।
अधिकारियों का कहना है कि आधुनिक आतंकी रणनीतियाँ अब अधिक डिजिटल-नियोजन पर निर्भर हैं —VPN, डार्क-वेब, क्रिप्टो फंडिंग और संदेशवाहक एप्स (जैसे टेलीग्राम/सिग्नल) के ज़रिये लोगों को रिक्रूट करना, ‘मिशन’ और धार्मिक-भावनात्मक भाषा में ब्रेनवॉश करना आम उपकरण बन गए हैं। ऐसे प्रोफ़ेशनल्स का समाज में सम्मान और गैर-आपराधिक रिकॉर्ड उनकी पहचान छिपाने में सहायक होता है इसीलिए एजेंसियाँ अब बिहेवियरल एआई और डिजिटल फ़ुटप्रिंट मैपिंग जैसी तकनीकें आज़मा रही हैं।
हालाँकि अभी तक आधिकारिक तौर पर यह साफ़ नहीं हुआ है कि लालक़िला धमाके की ज़िम्मेदारी किसने ली या विस्फोटक सामग्री सीधे तौर पर किस ग्रुप/मॉड्यूल से जुड़ी थी। जाँच-प्रक्रिया में फोरेंसिक रिपोर्ट, मोबाइल-कल रिकॉर्ड, CCTV फुटेज और इन दोनों फरीदाबाद छापों से प्राप्त साक्ष्यों की क्रॉस-चेकिंग की जा रही है। अगर ये कनेक्शंस क्लियर हुए तो यह पूरे देश के लिए बड़ी सुरक्षा चुनौती ही नहीं बल्कि नयी कार्ययोजना भी बन सकती है।
नतीजा यह कि राजधानी में सुरक्षा चौकियाँ और जाँच और भी कड़े कर दी गई हैं; सीमा-संबंधी सतर्कता भी बढ़ी हुई है। इस घड़ी में आम शहरी की तमन्ना यही है कि फ़ौरी तौर पर घायल-बचाव व जाँच पूरी पारदर्शिता से हों और जो भी दोषी हों, उन्हें कानून के हवाले कर दिया जाए ताकि शहर का रूहानी सुकून लौट सके और आम लोगों के दिलों से वह दहशत मिटे जो इस धमाके के बाद पैदा हुई।