Tsunami: कांपेगी धरती , समंदर में उठेगा बवंडर, फट जाएगा धरती का सीना, मंडरा रहा है हजार फीट ऊंची महा-सुनामी का खतरा!
Tsunami: अमेरिका के वैज्ञानिकों ने वह चेतावनी दी है, जिससे पूरा विश्व सिहर उठा है। कैस्केडिया सबडक्शन जोन , जो उत्तरी कैलिफोर्निया से लेकर कनाडा के वैंकूवर द्वीप तक 600 मील लंबी फॉल्ट लाइन है....

Tsunami: अमेरिका के वैज्ञानिकों ने वह चेतावनी दी है, जिससे पूरा विश्व सिहर उठा है। कैस्केडिया सबडक्शन जोन , जो उत्तरी कैलिफोर्निया से लेकर कनाडा के वैंकूवर द्वीप तक 600 मील लंबी फॉल्ट लाइन है, वहां से किसी भी वक्त ऐसी आपदा फूट सकती है जो सभ्यता की रफ्तार को रोक दे।
वर्जीनिया टेक की प्रमुख वैज्ञानिक टीना ड्यूरा और उनकी टीम ने अध्ययन के बाद दावा किया है कि आने वाले 50 वर्षों में 15 फीसदी संभावना है कि इस क्षेत्र में 8.0 या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप आएगा। और अगर यह फॉल्ट पूरी तरह खिसकी तो नतीजा होगा हजार फीट तक ऊंची सुनामी लहरें!
कैसा होगा महाविनाश?
तटीय समुदाय बह जाएंगे: उत्तरी कैलिफोर्निया, ओरेगन और वॉशिंगटन के तटीय इलाके सबसे पहले चपेट में आएंगे।30,000 से अधिक मौतें और 81 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान वैज्ञानिकों ने आकलित किया है।1.7 लाख से ज्यादा इमारतें ध्वस्त हो सकती हैं।समुद्र का बढ़ता स्तर (सी लेवल राइज़) इस विनाश को और गहरा कर देगा।
इतिहास का सबूत: 1700 की सुनामी
कैस्केडिया जोन का अतीत भी डरावना रहा है। 1700 में यहां 8.7–9.2 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने न सिर्फ अमेरिकी तट को बल्कि प्रशांत महासागर पार जापान तक को तबाह कर दिया। समुद्र के तलछट अध्ययन ने यह भी उजागर किया कि 1,05,000 साल पहले हवाई द्वीप लानाई पर 1,312 फीट ऊंची सुनामी उठी थी। यह बताता है कि ऐसी ‘महा-सुनामी’ केवल कल्पना नहीं, बल्कि कठोर सच्चाई है।
वर्तमान खतरा और चेतावनी
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि 50 साल में 15 फीसदी, 2100 तक 29 फीसदी संभावना है कि यह फॉल्ट टूटे और धरती का सीना फट जाए। टीना ड्यूरा के शब्दों में कि जब समुद्र का स्तर ऊंचा होगा, तो भूकंप और भूस्खलन का असर इतना भयावह होगा कि तटीय समुदाय रहने योग्य नहीं रहेंगे।
क्या अमेरिका तैयार है?
गर समय रहते आपदा प्रबंधन, निकासी प्रोटोकॉल और लचीले निर्माण की योजना नहीं बनाई गई, तो नतीजे भयावह होंगे।आपदा योजना और प्रोटोकॉल लागू न किए गए तो लाखों लोग फंस जाएंगे।इन्फ्रास्ट्रक्चर कमजोर पड़ा तो तटीय शहर ‘भूतिया नगर’ बन जाएंगे।कैस्केडिया जोन का खतरा केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है।दुनिया के अन्य सबडक्शन जोन (जैसे जापान, इंडोनेशिया, चिली, भारत का अंडमान-निकोबार क्षेत्र) भी इसी तरह के महाविनाश की चपेट में आ सकते हैं।
टीना ड्यूरा का कहना है कि “यह सिर्फ कैस्केडिया का मसला नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के टेक्टोनिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों के लिए चेतावनी है।”सवाल यह है कि क्या अमेरिका और पूरी दुनिया इस आने वाली ‘समुद्री प्रलय’ से लड़ने के लिए तैयार हैं? या फिर विज्ञान की चेतावनी को अनसुना कर हम एक और प्राकृतिक महाभारत को न्योता दे रहे हैं?