MUMBAI - देश में जब भी किसी घोटाले का जिक्र किया जाता है तो सबसे पहले बिहार में हुए नौ सौ करोड़ रुपए के चारा घोटाले का चर्चा जरुर होती है। लेकिन इस घोटाले को एक प्राइवेट अस्पताल ने पीछे छोड़ दिया है. जहां 15 सौ करोड़ रुपए के स्कैम का मामला सामने आया है। यह मामला तब सामने आया,जब अस्पताल की ऑडिट जांच की गई। जिसके बाद अब इसको लेकर तीन अलग अलग केस दर्ज किए गए हैं।
मुंबई के लीलावती अस्पताल का है मामला
15 सौ करोड़ के स्कैम का यह मामला देश के बड़े अस्पतालों में शामिल मुंबई के लीलावती हॉस्पीटल से जुड़ा है। जिसके पूर्व ट्रस्टियों पर यह घोटाला करने का आरोप लगा है। शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि अस्पताल परिसर में पूर्व ट्रस्टियों और संबंधित व्यक्तियों की ओर से काला जादू भी किया गया। शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि इस हेराफेरी ने ट्रस्ट के संचालन और अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया है।
पूर्व ट्रस्टियों पर तीन अलग अलग केस
ट्रस्ट ने जालसाजी और फंड की हेराफेरी के खिलाफ तीन शिकायते बांद्रा पुलिस स्टेशन में दर्ज की है। पहली शिकायत 11.52 करोड़ रुपये की जालसाजी और दुरुपयोग के लिए है जिसमें मेफेयर रियल्टर्स और वेस्टा इंडिया में निवेश किया गया था, दूसरी शिकायत 44 करोड़ रुपये की कानूनी फीस के रूप मे ठगी के लिए दर्ज की गई है। इसमे आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने लीलावती अस्पताल के तीन पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ दर्ज 85 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले की जांच शुरू की है और तीसरी शिकायत 14 पूर्व ट्रस्टियों और 3 निजी कंपनियों पर आरोप है कि बीते 20 सालों में मेडिकल उपकरणों की अवैध तरह से खरीदारी पर 1200 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का आरोप है।
काला जादू करने का भी आरोप
इन व्यक्तियों के खिलाफ चौथी कार्यवाही अब मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित है, जो काले जादू और गुप्त प्रथाओं के लिए बांद्रा पुलिस स्टेशन में दर्ज हमारी शिकायत पर आधारित है। मेहता ने बताया है कि अस्पताल के परिसर में मानव बाल मिले हैं और सात खोपड़ी वाले सात से ज्यादा कलश भी मिले हैं। इसके लिए महाराष्ट्र एंटी ब्लैक मैजिक एक्ट के तह मामला दर्ज किया गया है।
इसके अलावा पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा 500 करोड् रुपये की कर मांग के दावों की कार्यवाही भी शामिल है साथ ही गुजरात के एक वॉल्ट से 59 करोड़ रुपये के मूल्य के आभूषणों और कीमती वस्तुओं की चोरी का मामला भी जांच के दायरे में है।
क्या लीलावती अस्पताल की सत्ता का इतिहास
लीलावती अस्पताल का निर्माण 1997 में मुंबई करवाया गया था। लीलावती अस्पताल में इस स्कैम की शुरूआत 2002 से शुरू हुई। जब लीलावती किर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के संस्थापक किशोरी मेहता 2002 से बीमार चल रहे थे और इलाज के लिए विदेश चले गए थे। इस बीच उनके भाई विजय मेहता ने ट्रस्ट के कुछ समय के लिए संभाल लिया। साथ ही किशोरी मेहता को स्थायी ट्रस्टी के पद से हटाते हुए अपने बेटे और भतीजों को ट्रस्टी बना दिया। जिसको लेकर 14 साल केस चला। आखिरकार 2016 में किशोरी मेहता ने अपनी स्थिति दोबारा हासिल की, जिसके बाद उनका निधन हो गया। अब उनके बेटे प्रशात महेता स्थायी ट्रस्टी बने हैं और उन्हें वित्तीय अनियमितताओं का पता ल है और उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज की है।
क्या है घोटाले का विदेशी लिंक?
वर्तमान ट्रस्टियों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल से जुड़ी खरीद फरोक में बड़े स्तर पर धांधली करके फंड को अवैध रूप से डायर्वट किया गया। जिन ट्रस्टियों पर आरोप लगा है वे दुबई और बेल्जियम में हैं।