हिन्दी के लोकप्रिय कवि कुमार विश्वास की पत्नी ने राजस्थान लोक सेवा आयोग से दिया इस्तीफा, सामने आई यह वजह

Jaipur - अपनी कविताओं से देश भर के श्रोताओं में अपनी जगह बना चुके कुमार विश्वास की पत्नी डा. मंजू शर्मा ने राजस्स्थान लोक सेवा आयोग की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपनी इस्तीफा राज्यपाल को भेज दिया है। मंजू शर्मा ने इस्तीफा ऐसे समय में दिया है, जब आरपीएससी में कई प्रकार की शिकायतें सामने आ रही हैं।
बता दें कि राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) इस समय गहरे विवादों से गुजर रहा है. बीते महीनों में पेपर लीक और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों ने आयोग की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालात तब और बिगड़े जब आयोग के दो सदस्य सीधे गड़बड़ी के आरोपी पाए गए और उन्हें जेल तक जाना पड़ा। आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा ने स्वयं अपराध स्वीकार किया लेकिन जेल में रहते हुए भी अब तक अपने पद से इस्तीफ़ा नहीं दिया। इस घटनाक्रम ने आयोग की साख को बुरी तरह प्रभावित किया है और जनता के भरोसे को भी हिला दिया है।
इसके विपरीत सदस्य डॉ. मंजु शर्मा ने किसी भी जांच में आरोपी न होते हुए भी खुद त्यागपत्र राज्यपाल को सौंप दिया. उनका यह फैसला व्यक्तिगत स्तर पर लिया गया बताया जा रहा है, जबकि सरकार के लिए यह किसी हद तक राहत की खबर साबित हुआ है.
जांच में मंजू शर्मा का नाम नहीं
हालांकि डॉ. मंजु शर्मा का नाम किसी भी जांच या प्रकरण में सामने नहीं आया। पुलिस ने उन्हें आरोपी नहीं बनाया बल्कि गवाह के तौर पर उनके बयान दर्ज किए थे। इसके बावजूद उन्होंने नैतिकता को प्राथमिकता देते हुए इस्तीफा देना उचित समझा।
संस्थान की गरिमा बचाने की कोशिश
हाईकोर्ट की ओर से पूरी आरपीएससी पर की गई टिप्पणी से वे असहज थीं और अब उस टिप्पणी के खिलाफ डबल बेंच में अपील करने की तैयारी कर रही हैं। यह कदम उनके व्यक्तिगत असंतोष को भी दर्शाता है और संस्थान की गरिमा को बचाने की एक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
साहित्य और राजनीति जगत में भी चर्चा
गौरतलब है कि डॉ. मंजु शर्मा सिर्फ प्रशासनिक पदाधिकारी ही नहीं बल्कि साहित्यिक क्षेत्र से भी जुड़ी रही हैं. वे प्रख्यात कवि और आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता कुमार विश्वास की पत्नी हैं. ऐसे में उनका यह निर्णय केवल प्रशासनिक हलकों तक सीमित नहीं रहा बल्कि साहित्यिक और राजनीतिक जगत में भी इसे लेकर प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. लोग इसे नैतिकता और साहस का कदम मान रहे हैं जबकि कुछ लोग इसे आयोग की गहराती समस्याओं का प्रतीक बता रहे हैं।